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[[सुभद्रा]] महाभारत के प्रमुख नायक भगवान [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] और [[बलराम]] की बहिन थीं| इनके पिता का नाम [[वसुदेव]] और माता का नाम [[देवकी]] था|
 
इनके बड़े भाई बलराम को [[दुर्योधन]] ने अपने कूटनीतिक जाल में फंसाकर, सुभद्रा से विवाह करना चाहा था लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने इससे पूर्व ही [[अर्जुन]] को आदेश देकर सुभद्रा का अपहरण अर्जुन के हाथों करवा लिया और इस प्रकार अर्जुन और सुभद्रा का विवाह हुआ। कालांतर में इंक गर्भ से पुत्र अभिमन्यु का जन्म हुआ जोकि महाभारत के प्रसिद्ध योद्धा थे। पुरी, उड़ीसा में 'जगन्नाथ की यात्रा' में बलराम तथा सुभद्रा दोनों की मूर्तियाँ भगवान श्रीकृष्ण के साथ-साथ ही रहती हैं।
 
 
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तब कृष्ण बोले- "अर्जुन ने हमारे कुल का अपमान नहीं, सम्मान किया है। उन्होंने हमारे वंश की महत्ता समझकर ही हमारी बहन का हरण किया है। क्योंकि उन्हें स्वयंवर के द्वारा उसके मिलने में संदेह था। वह उत्तम वंश का होनहार युवक है। उसके साथ संबंध करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। सुभद्रा और अर्जुन की जोड़ी बहुत ही सुंदर होगी।" कृष्ण की यह बात सुन कर कुछ लोग कसमसाए। तब कृष्ण ने आगे कहा- "इसके अलावा अर्जुन को जीतना भी दुष्कर है। यहाँ चाहे जितनी जोशीली बातें कर लें, वहां उसके हाथों पराजय भी हो सकती है। मैं समझता हूं कि इस समय लड़ाई का उद्योग न करके अर्जुन के पास जाकर मित्रभाव से कन्या सौंप देना ही उत्तम है। कहीं अर्जुन ने अकेले ही तुम लोगों को जीत लिया और कन्या को हस्तिनापुर ले गया तो और बदनामी होगी। यदि उससे मित्रता कर ली जाए तो हमारा यश बढे़गा।"
 
आख़िर लोगों ने कृष्ण की बात मान ली। सम्मान के साथ अर्जुन लौटा कर लाए गए। द्वारका में सुभद्रा के साथ उनका विधिपूर्वक विवाह संस्कार संपन्न हुआ। विवाह के बाद वे एक वर्ष तक द्वारका में रहे और शेष समय पुष्कर क्षेत्र में व्यतीत किया। बनवास के बारह वर्ष समाप्त होने के उपरांत श्रीकृष्ण, बलराम, सुभद्रा तथा दहेज के साथ अर्जुन [[इन्द्रप्रस्थ]] वापस चले गये। कालांतर में सुभद्रा की कोख से [[अभिमन्यु (अर्जुनपुत्र)|अभिमन्यु]] का जन्म हुआ।