"रामदेव पीर": अवतरणों में अंतर

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==पृष्ठभूमि==
उन्हें भगवान [[विष्णु]] का [[कल्कि]] [[अवतार]] माना जाता है। राजा अजमल ने रानी मिनलदेवी से विवाह किया। राजा अजमल निः संताननिःसंतान होने से दुखी थे। उन्होंने [[द्वारका]] जाकर श्रीकृष्ण से प्रार्थना की कि उन्हें उनके जैसी संतान प्राप्त हो। उनके दो पुत्र हुए, बड़े बिरमदेव और छोटे पुत्र रामदेव। रामदेव का जन्म वि.स. १४०५ में भाद्र शुक्ल दूज को [[बाड़मेर जिला|बाड़मेर]] जिले के रामदेरिया, उंडू-काश्मीर में एक [[राजपूत]] परिवार में हुआ।
 
बाबा रामदेव मुस्लिमों के भी आराध्य हैं और वे उन्हें रामसा पीर या रामशाह पीर के नाम से पूजते हैं। रामदेवजी के पास चमत्कारी शक्तियां थी तथा उनकी ख्याति दूर दूर तक फैली। किंवदंती के अनुसार [[मक्का (शहर)|मक्का]] से पांच [[पीर (सूफ़ीवाद)|पीर]] रामदेव की शक्तियों का परीक्षण करने आए। रामदेवजी ने उनका स्वागत किया तथा उनसे भोजन करने का आग्रह किया। पीरों ने मना करते हुए कहा वे सिर्फ अपने निजी बर्तनों में भोजन करते हैं, जो कि इस समय मक्का में हैं। इस पर रामदेव मुस्कुराए और उनसे कहा कि देखिए आपके बर्तन आ रहे हैं और जब पीरों ने देखा तो उनके बर्तन मक्का से उड़ते हुए आ रहे थे। रामदेवजी की क्षमताओं और शक्तियों से संतुष्ट होकर उन्होंने उन्हें प्रणाम किया तथा उन्हें राम शाह पीर का नाम दिया। रामदेव की शक्तियों से प्राभावित होकर पांचों पीरों ने उनके साथ रहने का निश्चय किया। उनकी मज़ारें भी रामदेव की समाधि के निकट स्थित हैं।<ref name=it>{{cite book|title=India today, Volume 18, Issues 1-12|year=1993|publisher=लिविंग मीडिया इंडिया प्राइवेट लिमिटेड|page=६१|url=https://books.google.com/books?ei=_P6UT82IJIzxrQfE27npBA&sqi=2&id=JWUpAQAAIAAJ&dq=RAMDEV+MECCA&q=+MECCA#search_anchor}}</ref>
 
== इन्हें भी देखें ==