"रामधारी सिंह 'दिनकर'": अवतरणों में अंतर

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== प्रमुख कृतियाँ ==
 
जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल।"
रामधारी सिंह दिनकर की और [https://hindionlinejankari.com/ramdhari-singh-dinkar-poems/ कविताएं]
उन्होंने सामाजिक और आर्थिक समानता और शोषण के खिलाफ कविताओं की रचना की। एक प्रगतिवादी और मानववादी कवि के रूप में उन्होंने ऐतिहासिक पात्रों और घटनाओं को ओजस्वी और प्रखर शब्दों का तानाबाना दिया। उनकी महान रचनाओं में [[रश्मिरथी (खंड काव्य)|रश्मिरथी]] और [[परशुराम की प्रतीक्षा]] शामिल है। [[उर्वशी]] को छोड़कर दिनकर की अधिकतर रचनाएँ वीर रस से ओतप्रोत है। [[भूषण]] के बाद उन्हें [[वीर रस]] का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है।