"शब-ए-क़द्र": अवतरणों में अंतर

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|official_name = ليلة القدر (शब-ए-लैलतुल क़द्र)
|nickname = लिलतशब ए अल-क़द्र, लैलतुल-क़द्र
|observedby = मुस्लिम
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में से कोई एक है।
====शिया और सुन्नी मान्यता ====
अहल-ए-तशीअ अर्थात शिया मुसलमानों के मुताबिक़अनुसार ये उन्नीसवीं, इक्कीसवीं या तएसवीं रात है और सत्ताईसवें रात और पंद्रह शाबान(शबे बरात) की रात के बारे में भी शब-ए-क़द्र का हो सकना माना जाता है।<br>
शिया और सुन्नी मुसलमानों में रमज़ान की सत्ताईसवें रात को शबे क़द्र होने को अधिक मानते हैं।<br>
====क़ुरआन में लैलतुल-क़द्र (शबे-क़द्र) ====
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==== हदीस में लैलतुल-क़द्र (शबे-क़द्र) ====
<blockquote>“जो व्यक्ति क़द्र की रात में ईमान और एह्तिसाब के साथ (यानी अल्लाह के लिए नीयत को खालिस करते हुए) इबादत करेगा उसके पहले के पाप क्षमा कर दिए जाएंगे।” इसे बुखारी ([[हदीस]] संख्याः 1901) और मुस्लिम (हदीस संख्याः 760) ने रिवायत किया है।<br>
“क़द्र की रात को रमज़ान के महीने के अंतिम दस दिनों की विषम संख्या वाली रातों में तलाश करो।” इसे बुख़ारी (हदीस संख्याः 2017) और मुस्लिम (हदीस संख्याः 1169) ने रिवायत किया है।<br>
मैं ने शबे क़द्र की तलाश के लिए रमजान के पहले असरे(दस दिन) का एतकाफ (मस्जिद में रात दिन इबादत करना) किया फिर बीच के असरे का एतकाफ किया फिर मुझे बताया गया कि शबे कदर आखरी असरे में है सो तुम में से जो शख्स मेरे साथ एतकाफ करना चाहे वह कर ले। ([[सही मुस्लिम]], पृष्ठ 594, हदीस 1168)<br></blockquote>
 
==सन्दर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
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