"पीपाजी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
रोहित साव27 (वार्ता | योगदान) छो 2405:205:1083:C862:0:0:2975:48A5 (वार्ता) के 1 संपादन वापस करके Dr.Vishal Girish Bhatiके अंतिम अवतरण को स्थापित किया (ट्विंकल) टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना |
||
पंक्ति 1:
'''पीपाजी''' (१४वीं-१५वीं शताब्दी) [[गागरौन दुर्ग|गागरोन]] के शाक्त राजा एवं सन्त [[कवि]] थे। वे भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे। [[गुरु ग्रन्थ साहिब|गुरु ग्रंथ साहिब]] के अलावा २७ पद, १५४ साखियां, चितावणि व क-कहारा जोग ग्रंथ इनके द्वारा रचित संत साहित्य की अमूल्य निधियां हैं।
पीपा क्षत्रिय राजपूत मूलतः राजस्थान तथा भारत के अन्य राज्यों जैसे की गुजरात और मध्य प्रदेश इत्यादि के निवासी हैं। पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज के अनुसार उनका उद्भव राजपूत (प्रथम उच्चतम जाति / योद्धा) या क्षत्रिय वर्ण से ही हैं। राजा प्रताप राव खींची चौहान को जगतगुरु रामानंद संप्रदाय के रामानंद जी ने अपना शिष्य बनाया था जब से उनका नाम संत पीपा हो गया संत पीपा राजपाट त्याग करके धर्म की रक्षा के लिए संत बन गए थे और पीपा जी के अनुयाई राजपूत राजाओं ने पीपाजी महाराज को अपना गुरु माना वही समुदाय आज विख्यात है पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज के के नाम से यह समुदाय राजपूतों का अहिंसक समुदाय है धर्म की रक्षा के लिए राजपूत राजाओं ने राजपाट को त्याग कर के अहिंसक जीवन यापन करने का मार्ग को चुना और आज भी यह समुदाय किसी भी प्रकार का हिंसा का कार्य नहीं करता है मांस एवं मदिरा का उपयोग यह राजपूत समुदाय जो पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज के नाम से विख्यात है यह लोग नहीं करते यह अहिंसक राजपूत हैं
==JAY RAJPUTANA ==
|