"राजस्थान": अवतरणों में अंतर

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=== प्राचीन काल में राजस्थान ===
प्राचीन समय में [https://www.aapnopardesh.com/2020/05/rajasthan-ki-sthiti-vistar.html राजस्थान] में आदिवासी कबीलों का शासन था।2500 ईसा पूर्व से पहले राजस्थान में बसा हुआ था और उत्तरी राजस्थान में [[सिंधु घाटी सभ्यता]] की नींव यहाँ थी। भील और मीना जनजाति इस क्षेत्र में रहने के लिए सबसे पहले थे। संसार के प्राचीनतम साहित्य में अपना स्थान रखने वाले आर्यों के धर्मग्रंथ [[ऋग्वेद]] में मत्स्य जनपद का उल्लेख आया है जो कि वर्तमान राजस्थान के स्थान पर अवस्थित था। [[महाभारत]] कथा में भी [[मत्स्य]] नरेश विराट का उल्लेख आता है, जहाँ पांडवों ने अज्ञातवास बिताया था। राजस्थान के आदिवासी इन्हीं मत्स्यों के वंशज आज मीना / मीणा कहलाते हैं। करीब 11 वी शताब्दी के पूर्व तक दक्षिण राजस्थान पर भील राजाओं का शासन था <Ref>{{https://books.google.co.in/books?id=H8cXvR2KEccC&pg=PA62&lpg=PA62&dq=rajasthan+bhil+chief&source=bl&ots=6rjBfyvClu&sig=ACfU3U0YJ0bakEi0zsDpxCheIhFhZpEh1A&hl=hi&sa=X&ved=2ahUKEwiw-Z3i5KnpAhXL4zgGHQ1KAsIQ6AEwBXoECAkQAQ}}</Ref> उसके बाद मध्यकाल में राजपूत जाति के विभिन्न वंशो ने इस राज्य के विविध भागों पर अपना कब्जा जमा लिया, तो उन भागों का नामकरण अपने-अपने वंश, क्षेत्र की प्रमुख बोली अथवा स्थान के अनुरूप कर दिया।ये राज्य थे- [[उदयपुर]], [[डूंगरपुर]], [[बांसवाड़ा]], [[प्रतापगढ़]], [[जोधपुर]], [[बीकानेर]], [[किशनगढ़]], (जालोर) [[सिरोही]], [[कोटा]], [[बूंदी]], [[जयपुर]], [[अलवर]], [[करौली]], [[झालावाड़]] और [[टोंक]](मुस्लिम पिण्डारी).<ref>इम्पीरियल गजैटियर</ref> ब्रिटिशकाल में राजस्थान 'राजपूताना' नाम से जाना जाता था राजा [[महाराणा प्रताप]],और [[महाराणा सांगा]],[[महाराजा सूरजमल]], [[महाराजा जवाहर सिंह]] अपनी असाधारण राज्यभक्ति और शौर्य के लिये जाने जाते हैं। [[पन्ना धाय]] जैसी बलिदानी माता, [[मीरां]] जैसी जोगिन यहां की एक बड़ी शान है।[[कर्मा बाई]] जैसी भक्तणी जिसने भगवान जगन नाथ जी को हाथों से खीचड़ा खिलाया था। इन राज्यों के नामों के साथ-साथ इनके कुछ भू-भागों को स्थानीय एवं भौगोलिक विशेषताओं के परिचायक नामों से भी पुकारा जाता रहा है। पर तथ्य यह है कि राजस्थान के अधिकांश तत्कालीन क्षेत्रों के नाम वहां बोली जाने वाली प्रमुखतम बोलियों पर ही रखे गए थे। उदाहरणार्थ ढ़ूंढ़ाडी-बोली के इलाकों को [[ढ़ूंढ़ाड़]] (जयपुर) कहते हैं। 'मेवाती' बोली वाले निकटवर्ती भू-भाग अलवर को 'मेवात', उदयपुर क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली'मेवाड़ी' के कारण उदयपुर को [[मेवाड़]], ब्रजभाषा-बाहुल्य क्षेत्र को 'ब्रज', 'मारवाड़ी' बोली के कारण बीकानेर-जोधपुर इलाके को 'मारवाड़' और 'वागडी' बोली पर ही डूंगरपुर-बांसवाडा अदि को 'वागड' कहा जाता रहा है। [[डूंगरपुर]] तथा [[उदयपुर]] के दक्षिणी भाग में प्राचीन ५६ गांवों के समूह को ""छप्पन"" नाम से जानते हैं। [[माही नदी]] के तटीय भू-भाग को 'कोयल' तथा [[अजमेर]] के पास वाले कुछ पठारी भाग को 'उपरमाल' की संज्ञा दी गई है।<ref>गोपीनाथ शर्मा / 'Social Life in Medivial Rajasthan' / पृष्ठ ३</ref><ref>http://tdil.mit.gov.in/CoilNet/IGNCA/rj185.htm राजस्थान : एक परिचय, डॉ॰ कैलाश कुमार मिश्र</ref>
 
===राजस्थान का एकीकरण===
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==राजस्थान की जलवायु==
[https://www.aapnopardesh.com/2020/05/rajasthan-ki-jalwayu.html राजस्थान की जलवायु] शुष्क से उप-आर्द्र मानसूनी जलवायु है। अरावली के पश्चिम में न्यून वर्षा, उच्च दैनिक एवं वार्षिक तापान्तर, निम्न आर्द्रता तथा तीव्र हवाओं युक्त शुष्क जलवायु है। दूसरी ओर अरावली के पूर्व में अर्धशुष्क एवं उप-आर्द्र जलवायु है। अक्षांशीय स्थिति, समुद्र से दूरी, समुद्र ताल से से ऊंचाई, अरावली पर्वत श्रेणियों की स्थिति एवं दिशा, वनस्पति आवरण आदि सभी यहाँ की जलवायु को प्रभावित करते हैं।
 
राजस्थान के प्रथम व्यक्तित्व:-
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=== [[सवाई माधोपुर]] ===
#[https://www.aapnopardesh.com/2020/05/swai-madhopur-gk-hindi.html सवाई माधोपुर] शहर की स्थापना जयपुर के पूर्व महाराजा सवाई माधोसिंह प्रथम ने 1765 ईस्वी में की थी और इन्हीं के नाम पर 15 मई, 1949 ई. को सवाई माधोपुर जिला बनाया गया। मीणा बाहुल्य इस जिले का ऐतिहासिकता के तौर पर काफी महत्व है।
# राजस्थान राज्य का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान इसी जिले में स्थित है, जिसे [[रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान]] के नाम से जाना जाता है। इस उद्यान के कारण सवाई माधोपुर को 'टाइगर सिटी' के नाम से भी राजस्थान में पहचान मिली हुई है।
# सवाई माधोपुर जिले में चौहान वंश का ऐतिहासिक [[रणथंभोर दुर्ग]] विश्व धरोहर में शामिल है, अपनी प्राकृतिक बनावट व सुरक्षात्मक दृष्टि से अभेद्य यह दुर्ग विश्व में अनूठा है। इस दुर्ग का सबसे प्रसिद्ध शासक महाराजा [[हम्मीर देव चौहान]] राजस्थान के इतिहास में अपने हठ के कारण काफी प्रसिद्ध रहा है।
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'''प्रमुख नीजि सुती मिलें'''
 
1. द कृष्णा मिल्स लिमिटेड, ब्यावर, [https://www.aapnopardesh.com/2020/05/blog-post_4.html अजमेर] (राजस्थान की प्रथम सुती मिल, 1889 में)
 
2. मेवाड़ टैक्सटाइल मिल्स लिमिटेड - भीलवाड़ा(1938)