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'''सीखना''' या '''अधिगम''' ([[जर्मन भाषा|जर्मन]]: Lernen, {{lang-en|learning}}) एक व्यापक सतत् एवं जीवन पर्यन्त चलनेवाली महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। मनुष्य जन्म के उपरांत ही सीखना प्रारंभ कर देता है और जीवन भर कुछ न कुछ सीखता रहता है। धीरे-धीरे वह अपने को वातावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है। इस समायोजन के दौरान वह अपने अनुभवों से अधिक लाभ उठाने का प्रयास करता है। इस प्रक्रिया को [[मनोविज्ञान]] में सीखना कहते हैं। जिस व्यक्ति में सीखने की जितनी अधिक शक्ति होती है, उतना ही उसके जीवन का विकास होता है। सीखने की प्रक्रिया में व्यक्ति अनेक क्रियाऐं एवं उपक्रियाऐं करता है। अतः सीखना किसी स्थिति के प्रति सक्रिय प्रतिक्रिया है।<ref>{{cite web|title=मनोविज्ञान में प्रयोग एवं परियोजना |url=http://books.google.co.in/books?id=yGxD8DM5ClMC&pg=PA22|page=22|author=अरुण कुमार सिंह|publisher=मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स|year=2008|isbn=8120833228|access-date=18 अप्रैल 2014|archive-url=https://web.archive.org/web/20140419015551/http://books.google.co.in/books?id=yGxD8DM5ClMC&pg=PA22|archive-date=19 अप्रैल 2014|url-status=live}}</ref><ref>{{cite web |title=उच्चतर शिक्षा मनोविज्ञान |url=http://books.google.co.in/books?id=RzBL2WXTEkYC&pg=PA304 |page=३०४ |author=डॉ॰ मुहम्मद सुलैमान |publisher= |year=2007 |isbn=8120824180 |access-date=18 अप्रैल 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140419015844/http://books.google.co.in/books?id=RzBL2WXTEkYC&pg=PA304 |archive-date=19 अप्रैल 2014 |url-status=live }}</ref><ref>{{cite web|title=शिक्षा मनोविज्ञान |url=http://books.google.co.in/books?id=39zFbRGy9QgC |page=२०९|author=एस॰के॰ मंगल |publisher=पीएचआई लर्निंग प्राइवेट लिमिटेड|year=२०१०|isbn=9788120332805|access-date=18 अप्रैल 2014|archive-url=https://web.archive.org/web/20140419025246/http://books.google.co.in/books?id=39zFbRGy9QgC|archive-date=19 अप्रैल 2014|url-status=live}}</ref>
 
उदाहरणार्थ - छोटे बालक के सामने जलता दीपक ले जानेपर वह दीपक की लौ को पकड़ने का प्रयास करता है। इस प्रयास में उसका हाथ जलने लगता है। वह हाथ को पीछे खींच लेता है। पुनः जब कभी उसके सामने दीपक लाया जाता है तो वह अपने पूर्व अनुभव के आधार पर लौ पकड़ने के लिए, हाथ नहीं बढ़ाता है, वरन् उससे दूर हो जाता है। इसीविचार को स्थिति के प्रति प्रतिक्रिया करना कहते हैं। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि अनुभव के आधार पर बालक के स्वाभाविक व्यवहार में परिवर्तन हो जाता है।अधिगम का सर्वोत्तम सोपान अभिप्रेरणा है
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== अधिगम की परिभाषायें==
# '''बुडवर्थ''' के अनुसार - ‘‘सीखना विकास की प्रक्रिया है।’’<ref name="shiksha">{{cite web|title=शिक्षा मनोविज्ञान |url=http://books.google.co.in/books?id=39zFbRGy9QgC |page=२१०|author=एस॰के॰ मंगल |publisher=पीएचआई लर्निंग प्राइवेट लिमिटेड|year=२०१०|isbn=9788120332805|access-date=18 अप्रैल 2014|archive-url=https://web.archive.org/web/20140419025246/http://books.google.co.in/books?id=39zFbRGy9QgC|archive-date=19 अप्रैल 2014|url-status=live}}</ref>
# '''B.F.स्किनर''' के अनुसार - ‘‘सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया है।’’<ref name="shiksha" />
# '''जे॰पी॰ गिलर्फड''' के अनुसार - ‘‘व्यवहार के कारण, व्यवहारमें परिवर्तन ही सीखना है।’’
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== सीखने के नियम ==
 
ई॰एल॰ थार्नडाइक अमेरिका का प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक हुआ है जिसने सीखने के कुछ नियमों की खोज की जिन्हें निम्नलिखित दो भागों में विभाजित किया गया है<ref>{{cite book|url=http://books.google.co.in/books?id=03qXWzODZY4C |title=सीखने की विधियाँ|author=बद्रीलाल गुप्ता|publisher=कॉन्सेप्ट पब्लिशिंग कम्पनी|year=2012|isbn=8180697479|access-date=18 अप्रैल 2014|archive-url=https://web.archive.org/web/20140419013805/http://books.google.co.in/books?id=03qXWzODZY4C|archive-date=19 अप्रैल 2014|url-status=live}}</ref>&ndash;
 
*(क) '''मुख्य नियम''' (Primary Laws)
"https://hi.wikipedia.org/wiki/अधिगम" से प्राप्त