"भारत की संस्कृति": अवतरणों में अंतर

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=== संगीत ===
 
भारतीय संगीत का प्रारंभ वैदिक काल से भी पूर्व का है। पंडित शारंगदेव कृत "संगीत रत्नाकर" ग्रंथ मे भारतीय संगीत की परिभाषा "गीतम,वादयम् तथा नृत्यं त्रयम संगीत मुच्यते" कहा गया है।गायन, वाद्य वादन एवम् नर्तन यानी नृत्य कला; तीनों कलाओं का समावेश संगीत शब्द में माना गया है।मानागया तीनोहै।तीनो स्वतंत्र कला होते हुए भी एक दूसरे की पूरक है। भारतीयहै।भारतीय संगीत की दो प्रकार की पद्धतियां प्रचलित है; प्रथम कर्नाटक संगीत, जो दक्षिण भारतीय राज्यों में प्रचलित है और हिन्दुस्तानी संगीत शेष भारत में लोकप्रिय है। भारतवर्ष की सारी सभ्यताओं में संगीत का बड़ा महत्व रहा है। धार्मिक एवं सामाजिक परंपराओं में संगीत का प्रचलन प्राचीन काल से रहा है।इस रूप में, संगीत भारतीय संस्कृति की आत्मा मानी जाती है। वैदिक काल में अध्यात्मिक संगीत को मार्गी तथा लोक संगीत को देशी कहा जाता था! कालांतर में यही शास्त्रीय और लोक संगीत के रूप में दिखता है।(संगीतेश 9368697574)
 
[[चित्र:Panchavadyam.jpg|thumb|[[पंचावाद्यम]] केरल में एक संगीत मंदिर है।]]