"काठमाण्डु": अवतरणों में अंतर

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== नामाकरण ==
काठमांडू शब्द संस्कृत शब्द काष्ठमण्डप का अपभ्रंश है। काष्ठमण्डप इस नगर के मध्य में अवस्थित एक गोरखनाथजी का मंदिर और प्राचीन समय में यात्रुऔं का विश्रामस्थल है। यह भवन एक ही वृक्ष का काष्ठ प्रयोजन करके बनाया गया था। इस वैभवशाली भवन के नाम से इस नगर का नामाकरण किया गया। ऐसा विश्वास है कि इस नगर का मध्यकालीन नाम कांतिपुर इस नगर के कांति और वैभव के लिए रखा गया था। इस नगर का नेपालभाषा का नाम ये है। यह नाम प्राचीन नेपालभाषा का ञें का अपभ्रंश है। यह नाम का उत्त्पत्ति किरांत काल मे हुवा था।[[चित्र:काष्ठमण्डप.jpg|काष्ठमण्डप|thumb|कड़ी=Special:FilePath/काष्ठमण्डप.jpg]]
 
== इतिहास ==
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=== मुख्य शहर ===
 
[[चित्र:हनुमानढोकादरबार का गद्दीबैठक.jpg|हनुमानढोका दरबार का गद्दीबैठक भवन|thumb|कड़ी=Special:FilePath/हनुमानढोकादरबार_का_गद्दीबैठक.jpg]]
यह विभाग काठमांडू नगर का सबसे ज्यादा जनघनत्त्व युक्त स्थान है। इस नगर का ज्यादातर प्राचीन ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्मारक यही स्थान पर अवस्थित है। इस स्थान में अवस्थित स्मारक इस प्रकार है-
* हनुमानढोका दरबार
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=== अशोक विनायक मंदिर ===
 
[[चित्र:श्रीअशोकविनायककाठमांडू.jpg|अशोकविनायक का पाषाण मुर्ति|thumb|कड़ी=Special:FilePath/श्रीअशोकविनायककाठमांडू.jpg]]
अपनी सादगी के बावजूद यह मंदिर काठमांडू में भगवान गणेश का मुख्य मंदिर है। यह कष्टमंडप के पीछे स्थित है। यहां होने वाले धार्मिक अनुष्ठान राज्याभिषेक समारोह का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं इस मंदिर के बार में माना जाता है कि इसकी स्थापना गुंडकाम देव ने 10वीं शताब्दी में की थी। लेकिन इसका वर्तमान ढांचा 19वीं शताब्दी के मध्य में बना है। गणेश जी की पाषाण प्रतिमा अशोक के वृक्ष की स्वर्ण प्रतिलिपि के नीचे स्थित है। पहले अशोक का पेड़ पूर मंदिर को घेर हुए था और इसी के नाम पर इस मंदिर का नाम रखा गया।
 
=== हनुमान ढाेका (हनुमद् द्वार) ===
 
[[चित्र:हनुमानध्वखा येँ.jpg|हनुमानध्वखा में हनुमानजी का प्रतिमा|thumb]]
देगूताले मंदिर और तालेतू मंदिर के बीच एक खुली जगह है जिसे हनुमान ढाेका कहा जाता है। इसका नाम हनुमान् जी के नाम पर रखा गया था जो महल मल्ल राजा अपना इष्ट देव मानते थे। 1672 में प्रताप मल्ल के शासक काल के दौरान हनुमान् जी की प्रतिमा द्वार के सामने लगाई गई थी ताकि बुरी आत्माएं और बीमारियां प्रवेश न कर सकें। सैकड़ों साल बाद भी यह प्रतिमा अपने रूप का प्रभाव कायम रखे हुए हैं।
 
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=== स्वयंभूनाथ ===
[[चित्र:स्वयंभूनाथचैत्य.jpg|स्वयंभूनाथ चैत्य|thumb]]
{{मुख्य|स्वयंभूनाथ}}
विश्‍व धरोहर में शामिल स्वयंभू विश्‍व के सबसे भव्य बौद्ध स्थलों में से एक है। इसका संबंध काठमांडू घाटी के निर्माण से जोड़ा जाता है। काठमांडू से तीन किलोमीटर पश्चिम में घाटी से 77 मी. की ऊंचाई पर स्थित है स्वयंभू। इसके चारों ओर बनी आंखों के बार में माना जाता है कि ये गौतम बुद्ध की हैं जो चारों दिशाओं में देख रही हैं।