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वर्तमान में भारतीय रेलवे में कार्यरत कुंवर विकास सिंह बचपन से ही अपने कुशल नेतृत्व क्षमता के कारण एक अच्छे वक्ता और संघर्षशील शिक्षक के रूप में जाने जाते रहे हैं।
कुंवर विकास सिंह
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"इंसान ब्यवहार से कर्म से बड़ा होता है, उम्र कोई सीमा रेखा नही है माप-तौल की।"
 
शिक्षित परिवार में जन्मे कुंवर विकास सिंह बाल्यकाल से ही राजनैतिक व सामाजिक कार्यो में प्रतिभाग करते हुए 23 वर्ष की उम्र में दो पंचायत चुनावो में प्रतिभाग किए।
कुंवर विकास सिंह दो भाइयों में सबसे बड़े है,ये मूलतः उत्तर प्रदेश के अमेठी जनपद के निवासी हैं ।
शिक्षा
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सुबिधा सम्पन्न क्षेत्र होने के कारण प्राथमिक से स्नातक तक की शिक्षा ग्रामीणांचल से तहसील मुख्यालय तक के सरकारी व अर्धसरकारी विद्यालयों से सम्पन्न हुई।
 
सामाजिक जीवन
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बाल्यकाल से गणित विषय में अधिक रूचि होने के कारण इनका पठन-पाठन में अधिक मन लगा रहा वर्तमान में इनके द्वारा दो कोचिंग सेंटर का संचालन पीजीआई लखनऊ मैं हो रहा है जहां पर गरीब बच्चों के निशुल्क निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था है ।
बचपन से ही अपने नेतृत्व क्षमता का जलवा बिखेरने वाले कुंवर विकास सिंह को किताब पढ़ने , महापुरुषों के बारे में अध्ययन करने और घुड़सवारी करने का शौक है, ये शिक्षा अध्ययन के दौरान भाषण, काव्य- पाठ,और बेटलेफ्टिंग खेलो में प्रतिभाग करते रहे ।
 
राजशाही तन्त्र से सम्बन्ध
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कुंवर विकास सिंह अग्निवंश वत्सगोत्र चौहान (चाहवान)राजपूत है ,ये अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के चाचा साम्भर नरेश कान्हराय के वंशज है, जनपद अमेठी का वर्तमान परगना आसल इनके पूर्वज महाराज आशलदेव की रियासत रही जँहा इनका मूल निवास भी है।
इनके पूर्वजो का इतिहास सुल्तानपुर जनपद के दियरा रियासत, हसनपुर रियासत,व रजवाड़ क्षत्रियों के गाराब कुड़वार रियासत के जागीरदारों व क्षत्रियों से मिलती है, यह सभी रियासते राजा बरियारशाह के वंशजो की रही जो राजा आशलदेव के पिता श्री थे।