"सत्यवती": अवतरणों में अंतर
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[[मछली]] का पेट फाड़कर [[मल्लाह|मल्लाहों]] ने एक बालक और एक कन्या को निकाला और राजा को सूचना दी। बालक को तो राजा ने पुत्र रूप से स्वीकार कर लिया किंतु बालिका के शरीर से मत्स्य की गंध आने के कारण राजा ने मल्लाह को दे दिया। पिता की सेवा के लिये वह [[यमुना]] में नाव चलाया करती थी। सहस्त्रार्जुन द्वारा पराशर मुनि को मृत मान कर मृतप्रायः छोड़ दिया गया। माता सत्यवती ने मुनिराज की सेवा की व जीवन दान दिया। महर्षि ने प्रसन्न होकर उनका मत्स्यभाव नष्ट किया तथा शरीर से उत्तम गंध निकलने का वरदान दिया अत: वह 'गंधवती' नाम से भी प्रसिद्ध हुई। उसका नाम 'योजनगंधा' भी था। उससे [[ महर्षि वेदव्यास]] का जन्म हुआ। बाद में राजा [[शांतनु]] से उसका विवाह हुआ।
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