"भारत छोड़ो आन्दोलन": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:QUITIN1.JPG|thumb|| बंगलुरू के बसवानगुडी में दीनबन्धु सी एफ् अन्ड्रूज का भाषण]]
'''भारत छोड़ो आन्दोलन''', [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] के समय 8 अगस्त १९४२ को आरम्भ किया गया था।<ref>{{cite news |last1=अंकुर |first1=शर्मा |title=भारत छोड़ो आंदोलन- जानिए पूरी कहानी |url=https://hindi.oneindia.com/news/features/what-is-1942-quit-india-movement-418098.html |accessdate=9 अगस्त 2018 |publisher=Oneindia |date=२०१८ |archive-url=https://web.archive.org/web/20180809060746/https://hindi.oneindia.com/news/features/what-is-1942-quit-india-movement-418098.html |archive-date=9 अगस्त 2018 |url-status=live }}</ref> यह एक आन्दोलन था जिसका लक्ष्य [[भारत]] से [[ब्रिटिश साम्राज्य]] को समाप्त करना था। यह आंदोलन [[महात्मा गांधी]] द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के [[मुम्बई]] अधिवेशन में शुरू किया गया था। यह [[भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन|भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] के दौरान विश्वविख्यात [[काकोरी काण्ड]] के ठीक सत्रह साल बाद ९ अगस्त सन
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ऐसा माना जाता है कि यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का आखिरी सबसे बड़ा आंदोलन था, जिसमें सभी भारतवासियों ने एक साथ बड़े स्तर पर भाग लिया था। कई जगह समानांतर सरकारें भी बनाई गईं, स्वतंत्रता सेनानी भूमिगत होकर भी लड़े।
यह आंदोलन ऐसे समय में प्रारंभ किया गया जब द्वितीय विश्वयुद्ध जारी
आंदोलन के बारे में
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== इतिहास ==
[[चित्र:L.B.Shastri1286.gif|thumb|left|200px|'''"मरो नहीं, मारो!"''' का नारा १९४२ में [[लालबहादुर शास्त्री]] ने दिया जिसने क्रान्ति की [[दावानल]] को पूरे देश में प्रचण्ड किया।]]
।। भारतछोडो का नारा
विश्व युद्ध में [[इंग्लैण्ड]] को बुरी तरह उलझता देख जैसे ही नेताजी ने [[आज़ाद हिन्द फ़ौज|आजाद हिन्द फौज]] को "दिल्ली चलो" का नारा दिया, [[महात्मा गांधी|गान्धी]] जी ने मौके की नजाकत को भाँपते हुए ८ अगस्त १९४२ की रात में ही [[मुम्बई|बम्बई]] से अँग्रेजों को "भारत छोड़ो" व भारतीयों को "करो या मरो" का आदेश जारी किया और सरकारी सुरक्षा में यरवदा [[पुणे]] स्थित [[आगा खान पैलेस]] में चले गये। ९ अगस्त १९४२ के दिन इस आन्दोलन को [[लालबहादुर शास्त्री]] सरीखे एक छोटे से व्यक्ति ने प्रचण्ड रूप दे दिया। १९ अगस्त,१९४२ को शास्त्री जी गिरफ्तार हो गये। ९ अगस्त १९२५ को [[यूनाइटेड किंगडम|ब्रिटिश]] [[सरकार]] का तख्ता पलटने के उद्देश्य से 'बिस्मिल' के नेतृत्व में ''हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ'' के दस जुझारू कार्यकर्ताओं ने [[काकोरी काण्ड]] किया था जिसकी यादगार ताजा रखने के लिये पूरे देश में प्रतिवर्ष ९ अगस्त को "[[काकोरी काण्ड]] स्मृति-दिवस" मनाने की परम्परा [[भगत सिंह]] ने प्रारम्भ कर दी थी और इस दिन बहुत बड़ी संख्या में नौजवान एकत्र होते थे। [[महात्मा गांधी|गान्धी]] जी ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत ९ अगस्त १९४२ का दिन चुना था।
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