"समराथल": अवतरणों में अंतर

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'''समराथल धोरा धाम''' यह धाम [[बीकानेर जिला|बीकानेर]] जिले की तहसील [[नोखा, बीकानेर|नोखा]] में स्थित हैं। [[बिश्नोई]] समुदाय में समराथल का अत्यधिक महत्त्व हैं। समराथल पर ही [[गुरु जम्भेश्वर|गुरू जाम्भोजी]] ने विक्रम संवत् 1542 के कार्तिक अष्टमी को बिश्नोई पंथ की स्थापना की थी। यह बीकानेर जिल की नोखा तहसील में स्थित हैं। समराथल मुकाम से दो कि.मी. दक्षिण में हैं [[बिश्नोई]] पंथ में समराथल का अत्यधिक महत्त्व हैं। यह स्थान गरू जाम्भोजी का प्रमुख उपदेश स्थल रहा हैं। गुरू जाम्भोजी इक्कावन वर्ष तक मानव कल्याण हेतु लोगों को ज्ञान का उपदेश देते रहें हैं। विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करने के बाद जाम्भोजी यहीं आकर निवास करते थे। यह उनका इक्कावन वर्ष तक स्थायी निवास रहा हैं। सम्वत 1542 में इसी स्थान पर गुरू जाम्भोजी ने अपनी अलौकिक शक्ति से अकाल पीडि़तों की सहायता की थी। [[मुक्ति धाम मुकाम]] में लगने वाले मेलों के समय लोग प्रातः काल यहां पहुंचकर हवन करते हैं और पाहळ ग्रहण करते हैं। सम्भराथल को सोवन-नगरी एवं संभरि आदि नामों सें भी पुकारते है। इसका प्रचलित नाम धोक धोरा हैं। समराथल धोरे की सबसे ऊंची चोटी पर जहां बैठकर जाम्भोजी उपदेश देते थे और हवन करते थे। वहां पहले एक गुमटी थी। और अब एक सुन्दर मन्दिर बना दिया गया हैं और साथ ही पूर्व दिशा में नीचे उतरने के लिये पक्की सीढ़ियां बना दी गई हैं। मन्दिर के आस-पास साधुओं के रहने के मकाने बने हुए हैं। सम्भराथल के पूर्व की ओर नीचे तालाब बना हुआ है। यहां से लोग मिटटी निकालकर आस-पास श्पालोश् पर डालते हे ओर कुछ मिटटी ऊपर लाकर डालते हैं। कहते है कि यहीे सें जाम्भोजी ने अपने पांचो श्ष्यिों को सोवन-नगरी में प्रवेश करवाया था। अब लोगों द्धारा वहां सें मिटटी निकालने के पीछे सम्भवतः एक धारण यह हैं कि शायद सोवन नगरी का दरवाजा मिल जाए और वे उसमें प्रवेश कर जायें। सम्भराथल और मुकाम के बीच में बनी हुई पक्की सड़क पर समाज की एक बहुत बड़ी गौशाला हैंए जो समाज की गो-सेवा की भावना की प्रतीक है।<ref>{{Cite web|url=https://www.bhaskar.com/rajasthan/bikaner/news/rajasthan-news-a-procession-took-place-from-the-stage-to-samrathal-sacrifices-made-in-the-fire-105038-5776326.html|title=मुकाम से समराथल तक निकाली शोभायात्रा, हवन में दी आहुतियां|last=Automation|first=Bhaskar|date=2019-10-22|website=Dainik Bhaskar|language=hi|access-date=2020-04-25|archive-url=https://web.archive.org/web/20191207145151/https://www.bhaskar.com/rajasthan/bikaner/news/rajasthan-news-a-procession-took-place-from-the-stage-to-samrathal-sacrifices-made-in-the-fire-105038-5776326.html|archive-date=7 दिसंबर 2019|url-status=live}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://www.patrika.com/bikaner-news/mukam-mela-4209055/|title=मुकाम में फाल्गुन मेला: छह मार्च को होगा समाज का खुला अधिवेशन, गुरु की समाधि पर लगाएंगे धोक|website=Patrika News|language=hindi|access-date=2020-04-25|archive-url=https://web.archive.org/web/20190530201019/https://www.patrika.com/bikaner-news/mukam-mela-4209055/|archive-date=30 मई 2019|url-status=live}}</ref>
 
==संदर्भ==
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