"ओंकारेश्वर मन्दिर": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Amleshwar अमलेश्वर.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर में अमलेश्वर मंदिर का बाहरी दृश्य]]
 
ममलेश्वर भी ज्योतिर्लिंग है। ममलेश्वर मन्दिर अहल्याबाई का बनवाया हुआ है। गायकवाड़ राज्य की ओर से नियत किये हुए बहुत से ब्राह्मण यहीं पार्थिव-पूजन करते रहते हैं। यात्री चाहे तो पहले ममलेश्वर का दर्शन करके तब नर्मदा पार होकर औकारेश्वर जाय; किंतु नियम पहले ओंकारेश्वर का दर्शन करके लौटते समय ममलेश्वर-दर्शन का ही है। पुराणों में ममलेश्वर नाम के बदले विमलेश्वरअमलेश्वर उपलब्ध होता है।<ref>{{Cite web |url=http://puranastudy.byethost14.com/pur_index26/pva13.htm |title=संग्रहीत प्रति |access-date=9 मई 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20190126220911/http://puranastudy.byethost14.com/pur_index26/pva13.htm |archive-date=26 जनवरी 2019 |url-status=live }}</ref> ममलेश्वर-प्रदक्षिणा में वृद्धकालेश्वर, बाणेश्वर, मुक्तेश्वर, कर्दमेश्वर और तिलभाण्डेश्वरके मन्दिर मिलते हैं।
 
ममलेश्वरका दर्शन करके (निरंजनी अखाड़ेमें) स्वामिकार्तिक ( अघोरी नाले में ) अघेोरेश्वर गणपति, मारुति का दर्शन करते हुए नृसिंहटेकरी तथा गुप्तेश्वर होकर (ब्रह्मपुरीमें) ब्रह्मेश्वर, लक्ष्मीनारायण, काशीविश्वनाथ, शरणेश्वर, कपिलेश्वर और गंगेश्वरके दर्शन करके विष्णुपुरी लौटकर भगवान् विष्णु के दर्शन करे। यहीं कपिलजी, वरुण, वरुणेश्वर, नीलकण्ठेश्वर तथा कर्दमेश्वर होकर मार्कण्डेय आश्रम जाकर मार्कण्डेयशिला और मार्कण्डेयेश्वर के दर्शन करे।