"शिवप्रसाद सिंह": अवतरणों में अंतर

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'''शिवप्रसाद सिंह''' (१९ अगस्त १९२८ - २८ सितम्बर २००८) [[हिन्दी]] के साहित्यकार थे। उनका जन्म [[वाराणसी]] के जलालपुर में १९ अगस्त सन् १९२८ को हुआ था।जीवन परिचय
डॉ. शिवप्रसाद सिंह का जन्म 19 अगस्त, 1928 को बनारस के जलालपुर गांव में एक ज़मींदार परिवार में हुआ था। वे प्रायः अपने बाबा के जमींदारी वैभव की चर्चा किया करते; लेकिन उस वातावरण से असंपृक्त बिलकुल पृथक् संस्कारों में उनका विकास हुआ। उनके विकास में उनकी दादी मां, पिता और माँ का विशेष योगदान रहा, इस बात की चर्चा वे प्रायः करते थे। दादी माँ की अक्षुण्ण स्मृति अंत तक उन्हें रही और यह उसी का प्रभाव था कि उनकी पहली कहानी भी 'दादी मां' थी, जिससे हिन्दी कहानी को नया आयाम मिला। 'दादी मां' से नई कहानी का प्रवर्तन स्वीकार किया गया और यही नहीं, यही वह कहानी थी जिसे पहली आंचलिक कहानी होने का गौरव भी प्राप्त हुआ। तब तक रेणु का आंचलिकता के क्षेत्र में आविर्भाव नहीं हुआ था। बाद में डॉ. शिवप्रसाद सिंह ने अपनी कहानियों में आंचलिकता के जो प्रयोग किए वह प्रेमचंद और रेणु से पृथक् थे। एक प्रकार से दोनों के मध्य का मार्ग था; और यही कारण था कि उनकी कहानियां पाठकों को अधिक आकर्षित कर सकी थीं। इसे विडंबना कहा जा सकता है कि जिसकी रचनाओं को साहित्य की नई धारा के प्रवर्तन का श्रेय मिला हो, उसने किसी भी आंदोलन से अपने को नहीं जोड़ा। वे स्वतंत्र एवं अपने ढंग के लेखन में व्यस्त रहे और शायद इसीलिए वे कालजयी कहानियां और उपन्यास लिख सके।