"नामदेव": अवतरणों में अंतर
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नामदेव का जन्म शके 1192 में प्रथम संवत्सर कार्तिक शुक्ल एकादशी को नरसी ब्राह्मणी नामक ग्राम में दामा शेट शिंपी (छीपा) के यहाँ हुआ था। संत शिरोमणि श्री नामदेव जी ने विसोबा खेचर से दीक्षा ली। जो नामदेव पंढरपुर के "विट्ठल" की प्रतिमा में ही भगवान को देखते थे, वे खेचर के संपर्क में आने के बाद उसे सर्वत्र अनुभव करने लगे। उसकी प्रेमभक्ति में ज्ञान का समावेश हा गया। डॉ॰ मोहनसिंह नामदेव को [[स्वामी रामानन्दाचार्य|रामानंद]] का शिष्य बतलाते हैं। परन्तु महाराष्ट्र में इनकी बहुमान्य गुरु परंपरा इस प्रकार है -
:ज्ञानेश्वर और नामदेव उत्तर भारत की साथ साथ यात्रा की थी। ज्ञानेश्वर मारवाड़ में कोलदर्जी नामक स्थान तक ही नामदेव के साथ गए। वहाँ से लौटकर उन्होंने आलंदी में शके 1218 में समाधि ले ली। ज्ञानेश्वर के वियोग से नामदेव का मन महाराष्ट्र से उचट गया और ये पंजाब की ओर चले गए। [[गुरुदासपुर
== नामदेव के मत ==
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