"हूद (सूरा)": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोतहीन|date=जून 2015}}
{{क़ुरआन}}
'''सूरा हूद''' <ref>[[George Sale translation]]</ref> : [[क़ुरआन]] का 11 वां अध्याय ([[सूरा]]) है।<ref name="HookerOthman2003">{{cite book|author1=Virginia Hooker|author2=Norani Othman|title=Malaysia: Islam, Society and Politics|url=https://books.google.com/books?id=0W5t5lxigh8C&pg=PA211|year=2003|publisher=Institute of Southeast Asian Studies|isbn=978-981-230-161-1|pages=211}}</ref>
 
'''सूर ए हूद''' मक्का में नाज़िल हुआ और इसकी एक सौ तेईस (123) आयते हैं <br />
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==अनुवाद==
(मैं) उस ख़ुदा के नाम से (शुरु करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है <br />
 
(1) अलिफ़ लाम रा - ये (कुरान) वह किताब है जिसकी आयते एक वाकिफ़कार हकीम की तरफ से (दलाएल से) खूब मुस्तहकिम (मज़बूत) कर दी गयीं (1)
फिर तफ़सीलदार बयान कर दी गयी हैं ये कि ख़ुदा के सिवा किसी की परसतिष न करो मै तो उसकी तरफ से तुम्हें (अज़ाब से) डराने वाला और (बेहिष्त की) ख़ुषख़बरी देने वाला (रसूल) हूँ (2)
 
(2) फिर तफ़सीलदार बयान कर दी गयी हैं ये कि ख़ुदा के सिवा किसी की परसतिष न करो मै तो उसकी तरफ से तुम्हें (अज़ाब से) डराने वाला और (बेहिष्त की) ख़ुषख़बरी देने वाला (रसूल) हूँ (2)
 
और ये भी कि अपने परवरदिगार से मग़फिरत की दुआ माॅगों फिर उसकी बारगाह में (गुनाहों से) तौबा करो वही तुम्हें एक मुकर्रर मुद्दत तक अच्छे नुत्फ के फायदे उठाने देगा और वही हर साहबे बुर्ज़गी को उसकी बुर्जुगी (की दाद) अता फरमाएगा और अगर तुमने (उसके हुक्म से) मुँह मोड़ा तो मुझे तुम्हारे बारे में एक बड़े (ख़ौफनाक) दिन के अज़ाब का डर है (3)
 
(याद रखो) तुम सब को (आखि़रकार) ख़़ुदा ही की तरफ लौटना है और वह हर चीज़ पर (अच्छी तरह) क़ादिर है (4)
 
(ऐ रसूल) देखो ये कुफ़़्फ़ार (तुम्हारी अदावत में) अपने सीनों को (गोया) दोहरा किए डालते हैं ताकि ख़़ुदा से (अपनी बातों को) छिपाए रहें (मगर) देखो जब ये लोग अपने कपड़े ख़ूब लपेटते हैं (तब भी तो) ख़़ुदा (उनकी बातों को) जानता है जो छिपाकर करते हैं और खुल्लम खुल्ला करते हैं इसमें ्यक नहीं कि वह सीनों के भेद तक को खूब जानता है (5)
 
और ज़मीन पर चलने वालों में कोई ऐसा नहीं जिसकी रोज़ी ख़ुदा के ज़िम्मे न हो और ख़ुदा उनके ठिकाने और (मरने के बाद) उनके सौपे जाने की जगह (क़ब्र) को भी जानता है सब कुछ रौषन किताब (लौहे महफूज़) में मौजूद है (6)
 
और वह तो वही (क़ादिरे मुत्तलिक़) है जिसने आसमानों और ज़मीन को 6 दिन में पैदा किया और (उस वक़्त) उसका अर्ष (फलक नहुम) पानी पर था (उसने आसमान व ज़मीन) इस ग़रज़ से बनाया ताकि तुम लोगों को आज़माए कि तुममे ज़्यादा अच्छी कार गुज़ारी वाला कौन है और (ऐ रसूल) अगर तुम (उनसे) कहोगे कि मरने के बाद तुम सबके सब दोबारा (क़ब्रों से) उठाए जाओगे तो काफ़िर लोग ज़रुर कह बैठेगें कि ये तो बस खुला हुआ जादू है (7)
 
और अगर हम गिनती के चन्द रोज़ो तक उन पर अज़ाब करने में देर भी करें तो ये लोग (अपनी ्यरारत से) बेताम्मुल ज़रुर कहने लगेगें कि (हाए) अज़ाब को कौन सी चीज़ रोक रही है सुन रखो जिस दिन इन पर अज़ाब आ पडे़ तो (फिर) उनके टाले न टलेगा और जिस (अज़ाब) की ये लोग हँसी उड़ाया करते थे वह उनको हर तरह से घेर लेगा (8)
और अगर हम इन्सान को अपनी रहमत का मज़ा चखाएॅ फिर उसको हम उससे छीन लें तो (उस वक़्त) यक़ीनन बड़ा बेआस और नाषुक्रा हो जाता है (9)