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यह मस्जिद १४१७ ई. में बनी थी। मस्जिद का निर्माण मलिक मुखलिश और खालिश ने करवाया था। इस मस्जिद का वातावरण सामने का भाग बहुत ही मनोरम है इस मस्जिद में कबूतर बहुत ज्यादा रहते हैं इसलिए इस मस्जिद का नाम कबूतरों वाली मस्जिद भी कहा जाता है। इसके आसपास इत्र बनाने वाली कंपनियां हैं। जौनपुर इत्र बनाने के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है शाही जमाने में यहां का इत्र बहुत ही मूल्यवान होता था यहां का इत्र विदेशों में जाता है और बहुत ही सुगंधित होता है।
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=== खालिश मुखलिश मस्जिद ===
यह मस्जिद १४१७ ई. में बनी थी। मस्जिद का निर्माण मलिक मुखलिश और खालिश ने करवाया था। इस मस्जिद का वातावरण सामने का भाग बहुत ही मनोरम है इस मस्जिद में कबूतर बहुत ज्यादा रहते हैं इसलिए इस मस्जिद का नाम कबूतरों वाली मस्जिद भी कहा जाता है। इसके आसपास इत्र बनाने वाली कंपनियां हैं। जौनपुर इत्र बनाने के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है शाही जमाने में यहां का इत्र बहुत ही मूल्यवान होता था यहां का इत्र विदेशों में जाता है और बहुत ही सुगंधित होता है इत्र की कंपनी का प्रारंभ शेरशाह ने करवाया था इस तरह से इस मस्जिद की ऐतिहासिकता और भी बढ़ जाती है।
यह मस्जिद १४१७ ई. में बनी थी। मस्जिद का निर्माण मलिक मुखलिश और खालिश ने करवाया था।
 
=== शाही ब्रिज ===