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{{ज्ञानसन्दूक महाभारत के पात्र|
| Image = The scene from the Mahabharata of the presentation by Ganga of her son Devavrata (the future Bhisma) to his father, Santanu..jpg
| Caption = भीष्म की प्रतिज्ञा
| Caption = गंगा अपने पुत्र देवव्रत को उसके पिता शान्तनु को सौंपते हुए
| नाम = देवव्रत
जन्म माघ कृष्णपक्ष की नौमी
| अन्य नाम = भीष्म, गंगापुत्र, पितामह
| संस्कृत वर्तनी = देवव्रत
| जीवनसाथीपुत्र = ''कोई नहीं ( बाल ब्रह्मचारी)''
| संतान = '' कोई नहीं ''
| भाई-बहन = [[चित्रांगद]] और [[विचित्रविर्य]]
| संदर्भ ग्रंथ = [[महाभारत]], [[श्रीमद्भगवद्गीता]], [[पुराण]]
| व्यवसाय = [[क्षत्रिय]]
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| राजवंश = [[कुरु]]वंश
| माता और पिता = [[गंगा देवी|गंगा]] और राजा [[शान्तनु]]
| मुख्य शस्त्रआयुध = [[धनुष]] [[बाण]]
| Image = Bheeshma oath by RRV.jpg
| मुख्य शस्त्र = [[धनुष]] [[बाण]]
}}
|[[Image:Bheeshma Captionoath by = RRV.jpg|right|thumb|300px|भीष्म की प्रतिज्ञा]]
'''भीष्म''' अथवा '''भीष्म पितामह''' [[महाभारत]] के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक थे। भीष्म महाराजा [[शान्तनु]] और देव नदी [[गंगा देवी|गंगा]] की आठवीं सन्तान थे | उनका मूल नाम देवव्रत था। भीष्म में अपने पिता शान्तनु का [[सत्यवती]] से विवाह करवाने के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने की भीषण प्रतिज्ञा की थी | अपने पिता के लिए इस तरह की पितृभक्ति देख उनके पिता ने उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान दे दिया था | इनके दूसरे नाम गाँगेय, शांतनव, नदीज, तालकेतु आदि हैं।महाभारत एक महागाथा है।हैं।
 
इन्हें अपनी उस [[भीष्म|भीष्म प्रतिज्ञा]] के लिये भी सर्वाधिक जाना जाता है जिसके कारण येइन्होंने राजा बननेबन सकने के बावजूद आजीवन [[हस्तिनापुर]] के सिंहासन के संरक्षक की भूमिका निभाई। इन्होंने आजीवन विवाह नहीं किया व [[ब्रह्मचारी]] रहे। इसी प्रतिज्ञा का पालन करते हुए महाभारत में उन्होने कौरवों की तरफ से युद्ध में भाग लिया था। इन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान था। यह कौरवों के पहले प्रधान सेनापति थे। जो सर्वाधिक दस दिनो तक कौरवों के प्रधान सेनापति रहे थे। कहा जाता है कि द्रोपदी ने शरसय्या पर लेटे हुए भीष्म पितामह से पूछा की उनकी आंखों के सामने चीर हरण हो रहा था और वे चुप रहे तब भीष्म पितामह ने जवाब दिया कि उस समय मै कौरवों के नमक खाता था इस वजह से मुझे मेरी आँखों के सामने एक स्त्री के चीरहरण का कोई फर्क नही पड़ा,परंतु अब अर्जुन ने बानो की वर्षा करके मेरा कौरवों के नमक ग्रहण से बना रक्त निकाल दिया है, अतः अब मुझे अपने पापों का ज्ञान हो रहा है अतः मुझे क्षमा करें द्रोपदी। <ref>{{cite web|url=http://www.bhaskar.com/article-hf/HAR-AMB-mahabharat-characters-known-less-to-people-haryana-4476348-PHO.html?seq=12|title=महाभारत के वो 10 पात्र जिन्हें जानते हैं बहुत कम लोग!|date=२७ दिसम्बर २०१३|publisher=दैनिक भास्कर|archiveurl=http://archive.is/XqPVe|archivedate=२८ दिसम्बर २०१३}}</ref> महाभारत युद्ध खत्म होने पर इन्होंने गंगा किनारे इच्छा मृत्यु ली।
 
=== पूर्व जन्म में वसु थे भीष्म ===
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=== परशुराम के साथ युद्ध ===
[[परशुराम|भगवान परशुराम]] के शिष्य देवव्रत अपने समय के बहुत ही विद्वान व शक्तिशाली पुरुष थे। महाभारत के अनुसार हर तरह की शस्त्र विद्या के ज्ञानी और ब्रह्मचारी देवव्रत को किसी भी तरह के युद्ध में हरा पाना असंभव था। उन्हें संभवत: उनके गुरु [[परशुराम]] ही हरा सकते थे लेकिन इन दोनों के बीच हुआ युद्ध में परशुराम जी की हार हुईहुआ और दो अति शक्तिशाली योद्धाओं के लड़ने से होने वाले नुकसान को आंकते हुए इसे [[शिव|भगवान शिव]] द्वारा रोक दिया गया।
 
==कथा==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/भीष्म" से प्राप्त