"भीष्म": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
रोहित साव27 (वार्ता | योगदान) रोहित साव27 के अवतरण 4697941पर वापस ले जाया गया : Best version (ट्विंकल) टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना |
||
पंक्ति 1:
{{ज्ञानसन्दूक महाभारत के पात्र|
| Image = The scene from the Mahabharata of the presentation by Ganga of her son Devavrata (the future Bhisma) to his father, Santanu..jpg
| Caption = भीष्म की प्रतिज्ञा▼
| Caption = गंगा अपने पुत्र देवव्रत को उसके पिता शान्तनु को सौंपते हुए
| नाम = देवव्रत
जन्म माघ कृष्णपक्ष की नौमी
| अन्य नाम = भीष्म, गंगापुत्र, पितामह
| संस्कृत वर्तनी = देवव्रत
|
| संदर्भ ग्रंथ = [[महाभारत]], [[श्रीमद्भगवद्गीता]], [[पुराण]]
| व्यवसाय = [[क्षत्रिय]]
पंक्ति 12:
| राजवंश = [[कुरु]]वंश
| माता और पिता = [[गंगा देवी|गंगा]] और राजा [[शान्तनु]]
▲| मुख्य शस्त्र = [[धनुष]] [[बाण]]
}}
'''भीष्म''' अथवा '''भीष्म पितामह''' [[महाभारत]] के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक थे। भीष्म महाराजा [[शान्तनु]] और देव नदी [[गंगा देवी|गंगा]] की आठवीं सन्तान थे | उनका मूल नाम देवव्रत था। भीष्म में अपने पिता शान्तनु का [[सत्यवती]] से विवाह करवाने के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने की भीषण प्रतिज्ञा की थी | अपने पिता के लिए इस तरह की पितृभक्ति देख उनके पिता ने उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान दे दिया था | इनके दूसरे नाम गाँगेय, शांतनव, नदीज, तालकेतु आदि
इन्हें अपनी उस [[भीष्म|भीष्म प्रतिज्ञा]] के लिये भी सर्वाधिक जाना जाता है जिसके कारण
=== पूर्व जन्म में वसु थे भीष्म ===
पंक्ति 25:
=== परशुराम के साथ युद्ध ===
[[परशुराम|भगवान परशुराम]] के शिष्य देवव्रत अपने समय के बहुत ही विद्वान व शक्तिशाली पुरुष थे। महाभारत के अनुसार हर तरह की शस्त्र विद्या के ज्ञानी और ब्रह्मचारी देवव्रत को किसी भी तरह के युद्ध में हरा पाना असंभव था। उन्हें संभवत: उनके गुरु [[परशुराम]] ही हरा सकते थे लेकिन इन दोनों के बीच हुआ युद्ध में परशुराम जी की हार
==कथा==
|