"बहराइच": अवतरणों में अंतर
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* सिद्धनाथ मंदिर पांडव कालीन मंदिर है जो बहराइच शहर के बीचोबीच स्थित है। यहाँ वर्ष में 2 बड़े उत्सव - [[भाद्रपद]] में [[कजरीतीज]] और [[होली]] से पहले [[महाशिवरात्रि|महाशिवरात्री]] मनाए जाते हैंं। इनमेंं दूर-दूर से भक्त कांवर यात्रा ले कर आते है और जलाभिषेक करते हैंं।
*मरी माता मन्दिर है जो कि जिले से सटे हुये सरयू नदी के तट पे बना हैं यह भी एक प्रचीन मन्दिर हैं ऐसा भगतों का मानना हैं यहाँ हर शुक्रवार व सोमवार को मेला लगता व नौरात्री में तो बहोत ही ज्यादा भीड़ हो जाती हैं यहाँ मन्नत पूरी होने पे श्रद्धालु बकरे की बलि चढ़ाते हैं वही कुछ श्रद्धालु बकरे का कान काट के चढ़ाते हैं मुण्डन करवाना व मन्दिर के भीतर प्रसाद चढ़ाना है , यह जानकारी मैं [[दिनेश शर्मा न्यूज़ प्लस इन्डिया ब्यूरो प्रभारी]] बहराइच अपने द्वारा लोगो से मिली जानकारी के अनुसार दे रहा हूँ धन्यवाद जय माता दी
जंगली बाबा मन्दिर- यह मन्दिर भी पाण्डवों के समय की है जहां पर अर्जुन ने भगवान शंकर की तपस्या किया था इस मन्दिर में कजरीतीज और महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने भक्त लोग बहुतायत की संख्या में आते हैं
== शिक्षा ==
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