"ईश्वर": अवतरणों में अंतर
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{{for|ईश्वर फ़िल्म|ईश्वर (1989 फ़िल्म)}}
{{Distinguish|देवता}}
{{एक स्रोत}}
'''परमेश्वर''' वह सर्वोच्च परालौकिक शक्ति है जिसे इस [[ब्रह्माण्ड|संसार]] का सृष्टा और शासक माना जाता है। हिन्दी में ईश्वर को [[भगवान]], [[परमात्मा]] या [[परमेश्वर]] भी कहते हैं। अधिकतर धर्मों में परमेश्वर की परिकल्पना [[ब्रह्माण्ड]] की संरचना से जुड़ी हुई है।
[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] की ईश् [[धातु]] का अर्थ है- नियंत्रित करना और इस पर वरच् प्रत्यय लगाकर यह शब्द बना है। इस प्रकार मूल रूप में यह शब्द नियंता के रूप में प्रयुक्त हुआ है। इसी धातु से समानार्थी शब्द ईश व ईशिता बने हैं।<ref>{{ Citation
| last1=आप्टे
| first1=वामन शिवराम
| title=द प्रैक्टिकल् संस्कृत इंग्लिश डिक्शनरी
| publisher= मोतीलाल बनारसीदास
| place=दिल्ली, वाराणसी, पटना, मद्रास
| edition=चौथा
| year=१९६५
}}</ref>
[[File:YHWH.svg|thumb|200px|नाम [[यहोवा]] इब्रानी में]]
== धर्म और दर्शन में परमेश्वर की अवधारणाएँ ==
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इस्लाम मे मुसलमानो को खड़े खुले में पेशाब(इस्तीनज़ा) करने की इजाज़त नही क्योंकि इससे इंसान नापाक होता है और नमाज़ पढ़ने के लायक नही रहता इसलिए इस्लाम मे बैठके पेशाब करने को कहा गया है और उसके बाद पानी से शर्मगाह को धोने की इजाज़त दी गयी है।
इस्लाम मे 5 वक़्त की नामाज़ मुक़र्रर की गई है और हर नम्र फ़र्ज़ है। इस्लाम मे रमज़ान एक पाक महीना है जो कि 30 दिनों का होता है और 30 दिनों तक रोज़ रखना जायज़ हैजिसकी उम्र 12 या 12 से ज़्यादा हो।<ref>{{Cite web|url=https://www.jansatta.com/religion/ramadan-2019-history-and-significant-know-about-how-long-ramadan-what-is-its-recognition-in-islam/1002116/|title=जानिए, कब से शुरू हुआ रमजान, इस्लाम में क्या है इसकी मान्यता|date=2019-05-04|website=Jansatta|language=hi|access-date=2020-10-03}}</ref> 12 से कम उम्र पे रोज़ फ़र्ज़ नही। सेहत खराब की हालत में भी रोज़ फ़र्ज़ नही लेकिन रोज़े के बदले ज़कात देना फ़र्ज़ है। वैसा शख्स जो रोज़ा न रख सके किसी भी वजह से तो उसको उसके बदले ग़रीबो को खाना खिलाने और उसे पैसे देने या उस गरीब की जायज़ ख्वाइश पूरा करना लाज़मी
=== हिन्दू धर्म ===
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[[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]
[[श्रेणी:इस्लाम]]
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