"दुखी भारत": अवतरणों में अंतर
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“इस पुस्तक को संसार में उपस्थित करने के लिए अधिक लिखने की आवश्यकता नहीं है। मैं इसके लिए न मौलिकता का दावा करता हूँ न साहित्यिक विशेषता का। मेरी राय में अन्य लेखों से अपने मतलब की बाते खोजने, उनकी सत्यता की जांच करने और उनको प्रमाण स्वरूप उपस्थित करने की अपेक्षा किसी विषय पर एक मौलिक निबन्ध लिखना अधिक सरल है। पर मेरा सम्बन्ध एक पराधीन जाति से है और मैं, जो मिथ्या और भद्दी बातें घृणित उद्देशों को लेकर रची गई हैं और सारे संसार में फैलाई गई हैं, उनकी असत्यता सिद्ध करने के लिए और उनसे अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए यह किताब लिख रहा हूँ इसलिए मुझे लिखित प्रमाणों का सहारा लेना ही पड़ेगा।”
इस पुस्तक में कुल ३३ अधअयाय हैं। इसमें ४८ पृष्ठों का लंबा विषय प्रवेश एवं
== इतिहास ==
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