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'''अहीर''' भारत का गाय और भैंस-चर जातिसमुदाय है। इस समुदाय के अधिकतर लोगों को [[यादव]] समुदाय के रूप में पहचाने जाते हैं क्योंकि वे दोनों नामों को समानर्थी मानते हैं। यादव आंदोलन १ ९ १० और १ ९ २० मे कई अहीरों ने यादव को एक अंतिम नाम के रूप में अपनाया, और यह जल्द ही एक संदर्भ श्रेणी बन गया, जिसने पूरे उपमहाद्वीप में कई विविध क्षेत्रीय गाय और भैंस-चर जातियों को जोड़ा।<ref>Culture and Power in Banaras ,sandria freitag|chapter - page = protection and identity 136-137 1989-1990 UNIVERSITY OF CALIFORNIA PRESS| url = https://publishing.cdlib.org/ucpressebooks/view?docId=ft6p3007sk&chunk.id=d0e7627&toc.depth=100&toc.id=d0e7627&brand=ucpress;query=Ahir#1=</ref> अहीर मूलतः यदुवंशी क्षत्रिय है।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.com/books?redir_esc=y&id=wT-BAAAAMAAJ&focus=searchwithinvolume&q=Yadubansi+Kshatriyas+were+originally+Ahirs|title=The Cattle and the Stick: An Ethnographic Profile of the Raut of Chhattisgarh|last=Soni|first=Lok Nath|date=2000|publisher=Anthropological Survey of India, Government of India, Ministry of Tourism and Culture, Department of Culture|isbn=978-81-85579-57-3|language=en}}</ref>अहीरों का पारम्पिक पेशा मवेशी पालन व कृषि है। वे पूरे भारत में पाए जाते हैं लेकिन विशेष रूप से उत्तरी भारतीय क्षेत्रों में केंद्रित हैं । उन्हें कई अन्य नामों से जाना जाता है, जिनमें गवली और उत्तर में घोसी या गोप शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में कुछ को दौवा के नाम से भी जाना जाता है ।
 
==इतिहास==
===व्युत्पत्ति===
=== यादव आंदोलन ===
 
यादव आंदोलन की मांग थी, एक बड़े पैमाने पर किसान गाय चराने वाली की जाति कोई क्षत्रिय जाति का स्थान मिले ‌। शाही राज्य के शासकों [[रेवाड़ी]], [[यदुवंसी]] अहीरों के उप-शासकों द्वारा सदी के मोड़ के दौरान आंदोलन शुरू किया गया था। [[आर्य समाज]] की शिक्षाएँ आंदोलन के विकास के लिए प्रेरणा थी, जिसने इन्हें जाति उत्थान के अपने एजेंडे के अनुकूल बनाया
और राजनीतिक संगठन। विशेष रूप से, कई अहीरों ने क्षत्रिय स्थिति के लिए अपने दावे के समर्थन में पवित्र धागे के "dwija" प्रतीक को अपनाया। [[जनेऊ]] (पवित्र धागा) आंदोलन १ ९ १० और १ ९ २० के दशक में उत्तर प्रदेश और बिहार में मजबूत था, और शक्तिशाली ठाकुरों और भूमिहार ब्राह्मणों के विरोध का सामना करना पड़ा। कई अहीरों ने यादव को एक अंतिम नाम के रूप में अपनाया, और यह जल्द ही एक संदर्भ श्रेणी बन गया, जिसने पूरे उपमहाद्वीप में कई विविध क्षेत्रीय गाय और भैंस-चर जातियों को जोड़ा।<ref>Culture and Power in Banaras ,sandria freitag|chapter - page = protection and identity 136-137 1989-1990 UNIVERSITY OF CALIFORNIA PRESS| url = https://publishing.cdlib.org/ucpressebooks/view?docId=ft6p3007sk&chunk.id=d0e7627&toc.depth=100&toc.id=d0e7627&brand=ucpress;query=Ahir#1=</ref>
 
गंगा राम गर्ग अहीर को प्राचीन [[आभीर]] समुदाय के वंशज मानते हैं। अभीर का भारत में सटीक स्थान ज्यादातर [[महाभारत]] और [[टॉलेमी]] के लेखन जैसे पुराने ग्रंथों की व्याख्याओं पर आधारित विभिन्न सिद्धांतों का विषय है। वह अहीर शब्द को संस्कृत शब्द अभीर का [[प्राकृत]] रूप मानते हैं। वह टिप्पड़ी करते है कि बंगाली और मराठी भाषाओं में वर्तमान शब्द आभीर है ।
गर्ग एक ब्राह्मण समुदाय को अलग करते हैं जो आभीर नाम का उपयोग करते हैं और महाराष्ट्र और गुजरात के वर्तमान राज्यों में पाए जाते हैं। वह कहते हैं, ऐसा इसलिए है क्योंकि ब्राह्मणों का विभाजन प्राचीन आभीर जनजाति के पुजारी थे
 
===पौराणिक उद्भव===
पौराणिक दृष्टि से, अहीर या आभीर यदुवंशी राजा आहुक के वंशज है।<ref name="mitala">{{पुस्तक सन्दर्भ|last1=मित्तल|first1=द्वारका प्रसाद|title=हिन्दी साहित्य में राधा|date=1970|publisher=जवाहर पुस्तकालय|url=https://books.google.co.in/books?id=WucKAAAAMAAJ&q=%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A5%80+%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0&dq=%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A5%80+%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjErv3KlLXNAhWGqo8KHQpPA744PBDoAQhYMAk|accessdate=1 जुलाई 2020|url-status=live|archive-url=https://web.archive.org/web/20160821145628/https://books.google.co.in/books?id=WucKAAAAMAAJ&q=%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A5%80+%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0&dq=%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A5%80+%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjErv3KlLXNAhWGqo8KHQpPA744PBDoAQhYMAk|archive-date=21 अगस्त 2016}}</ref> शक्ति संगम तंत्र मे उल्लेख मिलता है कि राजा ययाति के दो पत्नियाँ थीं-देवयानी व शर्मिष्ठा। देवयानी से यदु व तुर्वशू नामक पुत्र हुये। यदु के वंशज यादव कहलाए। यदुवंशीय भीम सात्वत के वृष्णि आदि चार पुत्र हुये व इन्हीं की कई पीढ़ियों बाद राजा आहुक हुये, जिनके वंशज आभीर या अहीर कहलाए।<ref>[https://books.google.co.in/books?id=N2K7AAAAIAAJ&q=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF+%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6&dq=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF+%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6&hl=en&sa=X&ved=0CCAQ6AEwAThGahUKEwjpvMuE9pbIAhXNGo4KHRGeBEo भाषा भूगोल व सांस्कृतिक चेतना] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20150928080812/https://books.google.co.in/books?id=N2K7AAAAIAAJ&q=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF+%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6&dq=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF+%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6&hl=en&sa=X&ved=0CCAQ6AEwAThGahUKEwjpvMuE9pbIAhXNGo4KHRGeBEo |date=28 सितंबर 2015 }}, Vijaya Candra Publisher Vidyā Prakāśana, 1996 Original from the University of California, पृष्ठ 28</ref>
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===सैन्य भागीदारी===
भारत के ब्रिटिश शासकों ने 1920 के दशक में पंजाब के अहीरों को एक "कृषिक जाति" के रूप में वर्गीकृत किया था, जो उस समय "[[योद्धा जातियाँ]]" होने का पर्याय था। वे 1898 से सेना में भर्ती हुए थे। [[अलवर]], [[रेवाड़ी]], [[नारनौल]], [[महेंद्रगढ़]], [[गुड़गांव]] और [[झज्जर]] के आसपास के क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण आबादी है। इस क्षेत्र को अहीरवाल के रूप में जाना जाता है।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[अफरइया]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/अहीर" से प्राप्त