"अहीर": अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Content deleted Content added
HinduKshatrana (वार्ता) द्वारा किए बदलाव 5066497 को पूर्ववत किया टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन |
HinduKshatrana के अवतरण 5066497पर वापस ले जाया गया : Rv, vandal by sockpuppet. (ट्विंकल) टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना |
||
पंक्ति 1:
'''अहीर''' भारत का
==इतिहास==
===व्युत्पत्ति===
गंगा राम गर्ग अहीर को प्राचीन [[आभीर]] समुदाय के वंशज मानते हैं। अभीर का भारत में सटीक स्थान ज्यादातर [[महाभारत]] और [[टॉलेमी]] के लेखन जैसे पुराने ग्रंथों की व्याख्याओं पर आधारित विभिन्न सिद्धांतों का विषय है। वह अहीर शब्द को संस्कृत शब्द अभीर का [[प्राकृत]] रूप मानते हैं। वह टिप्पड़ी करते है कि बंगाली और मराठी भाषाओं में वर्तमान शब्द आभीर है ।
गर्ग एक ब्राह्मण समुदाय को अलग करते हैं जो आभीर नाम का उपयोग करते हैं और महाराष्ट्र और गुजरात के वर्तमान राज्यों में पाए जाते हैं। वह कहते हैं, ऐसा इसलिए है क्योंकि ब्राह्मणों का विभाजन प्राचीन आभीर जनजाति के पुजारी थे
===पौराणिक उद्भव===
पौराणिक दृष्टि से, अहीर या आभीर यदुवंशी राजा आहुक के वंशज है।<ref name="mitala">{{पुस्तक सन्दर्भ|last1=मित्तल|first1=द्वारका प्रसाद|title=हिन्दी साहित्य में राधा|date=1970|publisher=जवाहर पुस्तकालय|url=https://books.google.co.in/books?id=WucKAAAAMAAJ&q=%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A5%80+%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0&dq=%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A5%80+%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjErv3KlLXNAhWGqo8KHQpPA744PBDoAQhYMAk|accessdate=1 जुलाई 2020|url-status=live|archive-url=https://web.archive.org/web/20160821145628/https://books.google.co.in/books?id=WucKAAAAMAAJ&q=%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A5%80+%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0&dq=%E0%A4%AF%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A5%80+%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjErv3KlLXNAhWGqo8KHQpPA744PBDoAQhYMAk|archive-date=21 अगस्त 2016}}</ref> शक्ति संगम तंत्र मे उल्लेख मिलता है कि राजा ययाति के दो पत्नियाँ थीं-देवयानी व शर्मिष्ठा। देवयानी से यदु व तुर्वशू नामक पुत्र हुये। यदु के वंशज यादव कहलाए। यदुवंशीय भीम सात्वत के वृष्णि आदि चार पुत्र हुये व इन्हीं की कई पीढ़ियों बाद राजा आहुक हुये, जिनके वंशज आभीर या अहीर कहलाए।<ref>[https://books.google.co.in/books?id=N2K7AAAAIAAJ&q=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF+%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6&dq=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF+%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6&hl=en&sa=X&ved=0CCAQ6AEwAThGahUKEwjpvMuE9pbIAhXNGo4KHRGeBEo भाषा भूगोल व सांस्कृतिक चेतना] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20150928080812/https://books.google.co.in/books?id=N2K7AAAAIAAJ&q=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF+%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6&dq=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF+%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6&hl=en&sa=X&ved=0CCAQ6AEwAThGahUKEwjpvMuE9pbIAhXNGo4KHRGeBEo |date=28 सितंबर 2015 }}, Vijaya Candra Publisher Vidyā Prakāśana, 1996 Original from the University of California, पृष्ठ 28</ref>
Line 23 ⟶ 19:
===सैन्य भागीदारी===
भारत के ब्रिटिश शासकों ने 1920 के दशक में पंजाब के अहीरों को एक "कृषिक जाति" के रूप में वर्गीकृत किया था, जो उस समय "[[योद्धा जातियाँ]]" होने का पर्याय था। वे 1898 से सेना में भर्ती हुए थे। [[अलवर]], [[रेवाड़ी]], [[नारनौल]], [[महेंद्रगढ़]], [[गुड़गांव]] और [[झज्जर]] के आसपास के क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण आबादी है। इस क्षेत्र को अहीरवाल के रूप में जाना जाता है।
== इन्हें भी देखें ==
* [[अफरइया]]
|