''रोहतांग सुरंग'' या अटल सुरंग है जो विश्व की सबसे बड़ी सुरंग है यह सुरंग [[मनाली लेह राजमार्ग]] पर [[रोहतांग दर्रा|रोहतांग दर्रे]] के नीचे बनाई जा रही है,जो लेह को मनाली से जोड़ेगी, यह सुरंग घोड़े के नाल के आकार की है |
''रोहतांग सुरंग'' या अटल सुरंग है जो विश्व की सबसे बड़ी सुरंग है। यह सुरंग [[मनाली लेह राजमार्ग]] पर [[रोहतांग दर्रा|रोहतांग दर्रे]] के नीचे बनाई जा रही है,जो लेह को मनाली से जोड़ेगी।इस टनल का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 3 अक्टूबर 2020 को किया गया था।रोहतांग में स्थित 9.02 किलोमीटर लंबी ये टनल मनाली को लाहौल स्फीति से जोड़ती है. इस टनल की वजह से मनाली और लाहौल स्फीति घाटी सालों भर एक-दूसरे से जुड़े रह सकेंगे. इससे पहले बर्फबारी की वजह से लाहौल स्फीति घाटी साल के 6 महीनों तक देश के बाकी हिस्सों से कट जाती थी. 'अटल टनल' का आकार घोड़े की नाल जैसा है. इसका दक्षिणी किनारा मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि उत्तरी किनारा लाहौल घाटी में तेलिंग और सिस्सू गांव के नजदीक समुद्र तल से 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. 10.5 मीटर चौड़ी इस सुरंग पर 3.6 x 2.25 मीटर का फायरप्रूफ आपातकालीन निकास द्वार बना हुआ है. 'अटल टनल' से रोजाना 3000 कारें, और 1500 ट्रक 80 किलोमीटर की स्पीड से निकल सकेंगे.
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'''सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम'''
'अटल टनल' में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. हर 150 मीटर की दूरी पर टेलीफोन की व्यवस्था की गई है ताकि आपात स्थिति में संपर्क स्थापित किया जा सके. हर 60 मीटर की दूरी पर अग्निशमन यंत्र रखे गए हैं. 250 मीटर की दूरी पर सीसीटीवी की व्यवस्था है.
वायु की गुणवत्ता जांचने के लिए हर 1 किलोमीटर पर मशीन लगी हुई हैं. गौरतलब है कि रोहतांग दर्रे के नीचे इसको बनाने का फैसला 3 जून 2000 को लिया गया था. इसकी आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी