"आम्हीही इतिहास घडवला (किताब)": अवतरणों में अंतर

पहली मराठी भाषा में लिखित किताब
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आम्हीही इतिहास घडवला (अनुवाद. हमने भी इतिहास बनाया) भीमराव आम्बेडकर द्वारा शुरू किए गए दलित आंदोलन में संलग्न महिलाओं की विस्तृत इतिहास प्रस्तुत करने वाली पहली मराठी भाषा में लिखित किताब है।[1] उर्मिला पवार और मिनाक्षी मून द्वारा संपादित यह किताब की पहली संस्करण 1989 में प्रकाशित हुई थी और 2008 में वंदना सोनालकर द्वारा अनुवादित अंग्रेज़ी भाषा संस्करण का प्रकाशन हुआ था।[2]

रचना

यह किताब दो खंड में विभाजित है। पहले खंड में आम्बेडकरी आंदोलन और बीसवीं सदी में आयोजित सभी आन्दोलनों में महिलाओं की सहभागिता व संलग्नता का विश्लेषण किया गया है। दुसरे खंड में कुल ४५ दलित महिलाओं की जीवनी और अन्तरवार्ता पेश किए गए है। इनमे आम्बेडकर की पहली पत्नी रमाबाई आम्बेडकर, 1942 में नागपुर स्थित अखिल भारतीय अनुसूचित जाति महिला परिषद की अध्यक्ष सुलोचनाबाई डोंगरे और 1956 में अखिल भारतीय बौद्ध महिला असोसिएशन की अध्यक्ष सखुबाई मोहिते की जीवनियाँ शामिल है।

प्रतिक्रियाएँ

यह किताब दलित समुदाय और दलित नारीवाद के क्षेत्र में एक खज़ाना मानी जाती है जो सिद्धांतों के जगह महिलाओं द्वारा अनुभव किए गए घटनाओं को आधार लेकर दलित समुदाय और महिलाओं के इतिहास का विवरण और विश्लेषण करता है।[3]

संदर्भ