"राधास्वामी": अवतरणों में अंतर
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‘‘प्रथम धूंधूकार था। उसमें पुरुष सुन्न समाध में थे। जब कुछ रचना नहीं हुई थी। फिरजब मौज हुई तब शब्द प्रकट हुआ और उससे सब रचना हुई, पहले सतलोक और फिर सतपुरुष की कला से तीन लोक और सब विस्तार हुआ<ref>{{Cite book|title=सृष्टि की रचना.|last=सार वचन|publisher=स्वामी सत्संग सभा, दयालबाग, आगरा:}}</ref>।
इन सब लोकों से ऊपर राधास्वामी लोक बताया जाता है। हालांकि एक कबीर पंथी संत [[रामपाल (हरियाणा)|रामपाल]] दास ने [[कबीर|कबीरजी]], [[नानक]] जी
== समाधि ==
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