"शिवाजी": अवतरणों में अंतर

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| wives =[[साईबाई]], [[सोयराबाई]], [[पुतलाबाई]],[[गुणवंतबाई]], [[सगुणबाई]], [[सकवारबाई]], [[लक्ष्मीबाई]], [[काशीबाई]]}}''' छत्रपति शिवाजी भोसले ''' ([[१६३०|1630]]-[[१६८०|1680]] ई.) [[भारत]] के एक महान राजा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने [[१६७४|1674]] ई. में [[पश्चिमी भारत|पश्चिम भारत]] में [[मराठा साम्राज्य]] की नींव रखी। इसके लिए उन्होंने [[मुग़ल साम्राज्य|मुगल]] [[साम्राज्य]] के शासक [[औरंगज़ेब]] से संघर्ष किया। सन् [[१६७४|1674]] में [[रायगढ़]] में उनका राज्याभिषेक हुआ और वह "छत्रपति" बने। छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों कि सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने [[समर-विद्या]] में अनेक [[नवाचार]] किए तथा [[गोरिल्ला युद्ध|छापामार युद्ध]] (guerilla warfare) की नयी शैली ([[शिवसूत्र]]) विकसित की। उन्होंने प्राचीन [[हिन्दू]] राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और
[[मराठी भाषा|मराठी]] एवं [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] को राजकाज की भाषा बनाया। वे भारतीय स्वाधीनता संग्राम में नायक के रूप में स्मरण किए जाने लगे। [[बाल गंगाधर तिलक]] ने राष्ट्रीयता की भावना के विकास के लिए शिवाजी जन्मोत्सव की शुरुआत की।
 
==वंशावली==
शिवाजी महाराज [[मेवाड़]] के सूर्यवंशी [[क्षत्रीय]][[सिसोदिया]] राजपूतों के वंशज थे। [[चित्तौड़गढ़]] के अजय सिंह सिसोदिया , ने अपने भतीजे [[राणा हम्मीर सिंह]] सिसोदिया को अपना उत्तराधिकारी बनाया, इसके कारण निराश होकर सज्जनसिंह और क्षेमसिंह भाग्य की तलाश में [[दक्कन]] ([[महाराष्ट्र]]) चले गए । बड़े भाई सज्जनसिंह, शिवाजी के पूर्वज हैं। [[राणा सांगा |हिंडुआ सूरज महाराणा संग्राम सिंह सिसोदिया]] और [[महाराणा प्रताप|महाराणा प्रताप सिंह]] भी सूर्यवंशी [[क्षत्रीय]] [[सिसोदिया]] [[राजपूत]] थे।
 
सज्जनसिंह के पुत्र राणा दिलीप सिंह ने [[दिल्ली]] के [[मुहम्मद बिन तुगलक]] के खिलाफ [[बहमनी]] सुल्तान की स्थापना और विद्रोह करने में मदद की,इसके कारण सुलतान खुश हो कर, राणा दिलीप सिंह को [[देवगिरी]] ([[दौलताबाद]]) क्षेत्र में 10 गाँव दिए गए। मराठों और मराठी लोगो के साथ रहने और उनके साथ वैवाहिक संबंध बनाने के कारण सज्जनसिंह के वंशज([[भोसले]]), सांस्कृतिक रूप से [[मराठा|भोसले मराठा]] के हिस्सा बन गए। 96kuli मराठे, भी राजपूतों के वंशज होने का दावा करते हैं।
 
राणा दिलीप सिंह के पुत्र सिद्धोजी सिसोदिया थे, सिद्धोजी के पुत्र का नाम '''भोसाजी/भैरव''' सिंह सिसोदिया था , कहा जाता है कि शिवाजी के वंश को भोसले का उपनाम अपने पूर्वज भोसाजी सिसोदिया से मिला था। भैरोजी के 2 पुत्र थे- उग्रसेन सिंह भोसले, राणा देवराज सिंह भोसले। राणा उग्रसेन के 2 बेटे थे- करणसिंह भोसले और सुभा कृष्णा।<ref name="(India)1967">{{cite book|url=https://books.google.com/books?id=EXtEAQAAIAAJ|title=Maharashtra State Gazetteers: Maratha period|author=Maharashtra (India)|publisher=Directorate of Government Printing, Stationary and Publications, Maharashtra State|year=1967|page=147}}</ref>
राणा करनसिंह (सुभा कृष्णा के बड़े भाई), जो मुधोल के शासक थे उनको अपना उपनाम  '[[घोरपडे]]' , खलना के बड़े [[विशाल गढ़]] किले पर [[गोह]](iguana, मराठी में [[घोरपड]]) की मदद से चढ़ने, के कारण मिला. घोरपड़े, भोसले(सिसोदिया) की वरिष्ठ शाखा हैं।
 
सुभा कृष्ण भोसले (सिसोदिया) के उत्तराधिकारी देवगिरि में रहते रहे।   सुभा कृष्णा के उत्तराधिकारी- रूपसिंह, भुमेंद्रजी, डोपाजी,
बारहटजी, खेलोजी, परसोजी और बाबाजी,तथा मालोजी राजे भोसले। 
मालोजीराजे, [[शाहजी]] भोंसले के पिता थे,तथा शिवाजी के दादा थे।<ref>{{cite book|url=https://books.google.com/books?id=uQFuAAAAMAAJ|title=The Quarterly Journal of the Mythic Society (Bangalore).|year=1975|page=18}}</ref><ref name="S1998">{{cite book|url=https://books.google.com/books?id=1lZuAAAAMAAJ|title=India's communities|author=Singh K S|publisher=Oxford University Press|year=1998|isbn=978-0-19-563354-2|page=2211}}</ref>
 
मालोजी भोसले (1552–1597) [[अहमदनगर सल्तनत]] के एक प्रभावशाली जनरल थे, [[पुणे]] [[चाकन]] और [[इंदापुर]] के [[देशमुख]] थे।<ref> Marathi book Shivkaal (Times of Shivaji) by Dr V G Khobrekar, Publisher: Maharashtra State Board for Literature and Culture, First edition 2006. Chapter 1</ref><ref name="Salma314">{{cite book |author=Salma Ahmed Farooqui |title=A Comprehensive History of Medieval India: From Twelfth to the Mid-Eighteenth Century |url=https://books.google.com/books?id=sxhAtCflwOMC&pg=PA314 |year=2011 |publisher=Dorling Kindersley India |isbn=978-81-317-3202-1 |pages=314–}}</ref> मालो जी के बेटे [[शहाजी]] भी [[बीजापुर]] सुल्तान के दरबार में बहुत प्रभावशाली राजनेता थे। शाहजी अपने पत्नी [[जीजाबाई]] से शिवाजी का जन्म हुआ था।
 
===वंशावली===
# [[मेवाड़]] के राणा अजय सिंह
# राणा सुजान सिंह (सज्जन सिंह)
# दिलीप सिंह
# सिद्धोजी सिंह सिसोदिया
# बहिरोजी या '''भोसाजी सिंह सिसोदिया'''(भोसले वंश)<ref>Har Bilas Sarda (Diwan Bahadur),Speeches and writings</ref><ref>Chintaman Vinayak Vaidya ''History of mediæval Hindu India: (being a history of India from 600 to 1200)''</ref>
# देवरवजी भोसले
# उग्रसेन
# शुभ्राकृष्णा (सुभा कृष्णा)
# रूपसिंहजी
# भूमिन्द्रजी
# धापाजी
# बाराहतजी
# खेलोजी
# पारसोजी
# बाबाजी
# [[मालोजी भोंसले]]
# [[शाहजी]]
# [[शिवाजी]]
# [[संभाजी]]
# [[राजाराम]]
 
===समकालीन सबूत===
आजकल के कुछ लोग ने अपने राजनीतिक कारणों के लिए शिवाजी के क्षत्रिय होने पर सवाल उठाया है उनके लिए हमने यहां पर कुछ समकालीन सबूत जुटाए हैं।
*कवि जयराम का '''राधा माधव विलासा चंपू''' (बैंगलोर में [[शाहजी]] के दरबार में लिखा गया, 1654) भोंसले का वर्णन [[चित्तौड़]] के क्षत्रिय [[सिसोदिया]] राजपूतो के वंशज के रूप में किया गया है। [[शिवाजी]] के [[राज्याभिषेक]] से बहुत पहले जयराम की कविता रची गई थी। जयराम ने उल्लेख किया कि [[शाहजी]] चित्तौड़ के दलीप सिंह सिसोदिया के वंशज है, उन्होंने राणा के परिवार में जन्म लिया जो पृथ्वी के सभी राजाओं में सबसे महान और शूरवीर थे। दलीप सिंह, चित्तौड़ के राणा लक्ष्मणसेन(1303CE) के पोते थे,।
* परमानंद की ''शिवभारत'' मैं कहा गया है कि शिवाजी और शाहजी दोनों सूर्यवंशी क्षत्रिय सिसोदिया वंशी थे।
* शाहजी ने सुल्तान [[आदिलशाह]] को लिखे अपने पत्र में कहा कि वह एक राजपूत है।<ref>[http://books.google.co.in/books?id=iHK-BhVXOU4C&pg=PA88&dq=shivaji+father+shahji+in+letter+to+adil+shah+rajput&hl=en&ei=uaP9TbL5GIi8vwODuPGGAw&sa=X&oi=book_result&ct=result&resnum=1&ved=0CDAQ6AEwAA#v=onepage&q=shivaji%20father%20shahji%20in%20letter%20to%20adil%20shah%20rajput&f=false The Marathas 1600-1818, Part 2, Volume 4] By Stewart Gordon. Page 88.</ref>
* मुगल इतिहासकार खफी खान ने [[शिवाजी]] को चित्तौड़ के राणाओं के वंशज के रूप में वर्णित किया है। खफी खान शिवाजी के बहुत कठोर आलोचक थे।
* ''सभासद बखर'', शिवाजी के मंत्री कृष्ण भास्कर द्वारा रचित(1694), मैं भोंसले को सूर्यवंशी क्षत्रीय सिसोदिया बताया गया है<ref name="Bakshi1998">{{cite book|author=Shiri Ram Bakshi|title=Sharad Pawar, the Maratha legacy|url=https://books.google.com/books?id=iP433CnEW_gC&pg=PA25|access-date=15 May 2011|year=1998|publisher=APH Publishing|isbn=978-81-7648-007-9|pages=25–}}</ref><ref>{{cite book|url=https://books.google.com/books?id=TXxjo0OY2oQC&pg=PA17 |title=Mahrattas, Sikhs and Southern Sultans of India: Their Fight Against Foreign Power |first=H. S.|last=Bhatia |publisher=Deep & Deep |year=2001 |edition=2nd |isbn=9788171003693 |access-date=2012-08-31}}</ref>
 
== आरम्भिक जीवन ==
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== मृत्यु और उत्तराधिकार ==
छत्रपतीविष दिलाने के बाद शिवाजी महाराज की मृत्यु 3 अप्रैल 1680 में हुई। उस समय शिवाजी के उत्तराधिकार संभाजी को मिले। शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र [[सम्भाजी|संभाजी]] थे और दूसरी पत्नी से राजाराम नाम एक दूसरा पुत्र था। उस समय [[राजाराम]] की उम्र मात्र 10 वर्ष थी अतः मराठों ने शम्भाजी को राजा मान लिया। उस समय [[औरंगज़ेब|औरंगजेब]] राजा शिवाजी का देहान्त देखकर अपनी पूरे [[भारत]] पर राज्य करने कि अभिलाषा से अपनी 5,00,000 सेना सागर लेकर दक्षिण भारत जीतने निकला। औरंगजेब ने दक्षिण में आते ही अदिल्शाही २ दिनो में और कुतुबशाही १ ही दिनो में खतम कर दी। पर राजा सम्भाजी के नेतृत्व में मराठाओ ने ९ साल युद्ध करते हुये अपनी स्वतन्त्रता बरकरा‍र रखी। औरंगजेब के पुत्र शहजादा [[अकबर]] ने [[औरंगज़ेब|औरंगजेब]] के ख़िलाफ़ विद्रोह कर दिया। संभाजी ने उसको अपने यहाँ शरण दी। औरंगजेब ने अब फिर जोरदार तरीके से संभाजी के ख़िलाफ़ आक्रमण करना शुरु किया। उसने अन्ततः 1689 में संभाजी के बीवी के सगे भाई याने गणोजी शिर्के की मुखबरी से संभाजी को मुकरव खाँ द्वारा बन्दी बना लिया। औरंगजेब ने राजा संभाजी से बदसलूकी की और बुरा हाल कर के मार दिया। अपनी राजा कि औरंगजेब द्वारा की गई बदसलूूूकी और नृृृृृृशंसता द्वारा मारा हुआ देखकर पूरा मराठा स्वराज्य क्रोधित हुआ। उन्होने अपनी पुरी ताकत से राजाराम के नेतृत्व में मुगलों से संघर्ष जारी रखा। 1700 इस्वी में राजाराम की मृत्यु हो गई। उसके बाद राजाराम की पत्नी ताराबाई 4 वर्षीय पुत्र [[शिवाजी द्वितीय]] की संरक्षिका बनकर राज करती रही। आखिरकार 25 साल मराठा स्वराज्य के युद्ध लड के थके हुये [[औरंगज़ेब|औरंगजेब]] की उसी छ्त्रपती शिवाजी के स्वराज्य में दफन हुये।
 
== शासन और व्यक्तित्व ==