"राष्ट्रपति": अवतरणों में अंतर
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15 अगस्त 1947 को भारत [[यूनाइटेड किंगडम|ब्रिटेन]] से स्वतंत्र हुआ था और अन्तरिम व्यवस्था के तहत देश एक राष्ट्रमंडल [[अधिराज्य]] बन गया। इस व्यवस्था के तहत [[गवर्नर जनरल|भारत के गवर्नर जनरल]] को भारत के राष्ट्रप्रमुख के रूप में स्थापित किया गया, जिन्हें [[जॉर्ज षष्ठम्|ब्रिटिश इंडिया में ब्रिटेन के अन्तरिम राजा - जॉर्ज VI]] द्वारा ब्रिटिश सरकार के बजाय भारत के प्रधानमंत्री की सलाह पर नियुक्त करना था।
यह एक अस्थायी उपाय था, परन्तु भारतीय राजनीतिक प्रणाली में साझा राजा के अस्तित्व को जारी रखना सही मायनों में संप्रभु राष्ट्र के लिए उपयुक्त विचार नहीं था। आजादी से पहले भारत के आखरी ब्रिटिश वाइसराय [[लुईस माउंटबेटन, बर्मा के पहले अर्ल माउंटबेटन|लॉर्ड माउंटबेटन]] ही भारत के पहले गवर्नर जनरल बने थे। जल्द ही उन्होंने [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]] को यह पद सौंप दिया, जो भारत के इकलौते भारतीय मूल के गवर्नर जनरल बने थे। इसी बीच [[डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद|डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद]] के नेतृत्व में संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान का मसौदा तैयार हो चुका था और 26 जनवरी 1950 को औपचारिक रूप से संविधान को स्वीकार किया गया था। इस तारीख का प्रतीकात्मक
इस कदम से भारत की एक राष्ट्रमंडल अधिराज्य की स्थिति समाप्त हो गया। लेकिन यह गणतंत्र राष्ट्रों के [[राष्ट्रकुल|राष्ट्रमंडल]] का सदस्य बना रहा। क्योंकि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री [[जवाहरलाल नेहरू]] ने तर्क किया की यदि कोई भी राष्ट्र ब्रिटिश सम्राट को "राष्ट्रमंडल के प्रधान" के रूप में स्वीकार करे पर ज़रूरी नहीं है कि वह ब्रिटिश सम्राट को अपने राष्ट्रप्रधान की मान्यता दे, उसे राष्ट्रमंडल में रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। यह एक अत्यन्त महत्वपूर्ण निर्णय था जिसने बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में नए-स्वतंत्र गणराज्य बने कई अन्य पूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों के राष्ट्रमंडल में रहने के लिए एक मिसाल स्थापित किया।
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