"ज़": अवतरणों में अंतर
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== भारतीय भाषाओँ में ==
'ज़' की ध्वनी के बारे में एक ग़लत धारणा है के इसे भारत में केवल अरबी-फ़ारसी या अंग्रेज़ी के शब्दों की वजह से ही मान्यता प्राप्त है। भारत में कई भाषाओँ में यह संस्कृत से उत्पन्न मूल शब्दों के लिए भी प्रयोग होता है। मसलन [[कश्मीरी भाषा]] में अक्सर 'ज' की जगह 'ज़' आता है -
कश्मीरी को देवनागरी लिपि में लिखने के लिए 'ज़' का भारी प्रयोग किया जाता है। ऐसा ही अन्य [[दार्दी भाषाएँ|दार्दी भाषाओँ]] में भी देखा गया है। मसलन [[शीना भाषा]] में संस्कृत के "द्र" और "भ्र" की जगह अक्सर "ज़" आता है -
* 'ज़ाच' - अर्थ: अंगूर, संस्कृत 'द्राक्ष' इसका मूल है
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