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नंद वंश_का_गौरवशाली_इतिहास 344 ईसा पूर्व
जिसे वर्तमान में सविता सेन नंदवंशी श्रीवास ठाकुर राजोरिया पवार समाज के नाम से जानते हैं
जिस के संस्थापक महापदम नंद थे जिन्हें उग्रसेन आदि नाम से भी जाना जाता है जिन्हें प्रथम चक्रवर्ती सम्राट एकराठ परशुराम जैसी उपाधियों से नवाजा गया जिसने उस समय के सभी राजाओं पर विजय प्राप्त की और अपने अधीन किया तथा अपना लोहा मनवाया जिसके शासनकाल में 16 महाजनपदों को जोड़कर मगध को राजधानी बनाया गया जिसे केंद्रीय शासन प्रणाली का जनक कहा जाता है जिसके शासनकाल में नेहरे सड़कों कुआं आदि का निर्माण कराया गया जिस के शासनकाल में कोई भी विदेशी आक्रांता भारत में प्रवेश की कल्पना मात्र तक नहीं करता था अखंड भारत का निर्माण कर विजेता होने का ध्वज लहराया जिसके शासनकाल में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था जिसके शासनकाल में स्वर्ण मुद्राएं प्रचलन में में आई ऐसे महान शूरवीर सम्राट की छवि को बिगाड़ने का षड्यंत्र और नंद वंश का संपूर्ण विनाश का सपना साकार ना हो सका जिसके 9 पुत्रों ने भारत में बारी बारी से शासन किया महापदम नंद की दो पत्नियां थी पहली का नाम सुनंदा जिससे 8 पुत्र प्राप्त हुई दूसरी पत्नी का नाम मुरा जिससे 1 पुत्र प्राप्त हुआ जिसका नाम चंद्र नंद जो आगे चलकर चंद्रगुप्त मौर्य बना और मां मुरा के नाम पर मौर्य वंश की स्थापना की पहली बीवी सुनंदा का आठवां पुत्र धनानंद था जिसने सर्वाधिक समय तक राज्य किया और कुछ लोगों की कलई खोली थी इसी ने झेलम नदी के तट पर अलेक्जेंडर उर्फ सिकंदर को चेतावनी दी थी जो भारत में विश्व विजेता होने का सपना लेकर प्रवेश किया था की अगर अत्यधिक लालच करोगे तो संसार से जाओगे और कहां था अगर मगध या तक्षशिला की तरफ अग्रसर होने का साहस किया तो राजा पुर के साथ मुझे और मगध की पूरी विशालकाय सेना को खड़ा पाओगे
जिस सम्राट #धनानंद के पास 400000 पैदल सेना ,200000 घुड़सवार,4000 हाथी ,2000 रथ की विशाल सेना थी
और धनानंद के पास 90 करोड़ #सोने की मुद्रा थी ,उस घनानंद को क्रूर अत्याचारी #अय्याश कहते हुए गद्दार इतिहासकारो को शर्म से डूब मरना चाहिए।
इतिहास को तोड़ने मरोड़ने वाले गद्दार इतिहासकारो को #गौरवशाली इतिहास हजम नही हुआ ,,, सिकन्दर ऐसे ही डरा नहीं था जो पोरस को धूल चटाने के बाद वापस नंद वंश की दाहाड़ सुनकर लौटने को मजबुर हुआ क्योंकि #नन्द की सेना को देखने के बाद युनानी(सिकन्दर) की सेना को पता चल गया यहाँ से जिन्दा लोटना मुश्किल होगा अगर #नन्दवंश सेना से मुकाबला हुआ तो...... ,
परन्तु दो दो कोड़ी के सड़कछाप इतिहास कार जिनका कोई इतिहास नहीं रहा है। परपोषी प्राणी जिनकी छाती पर आज भी नंद वंश के नाम का डर आज भी दिखाई देता है
जिनका इतिहास खुद #मुगलिया सल्तनत तथा अंग्रेजों की चाटुकारिता और जी हुजूरी करने में गुजर गया वो सड़कछाप #नन्दवंश के इतिहास पर सवाल करते है । इसी समाज ने कर्पूरी ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री बिहार जैसे वीर योद्धा पैदा किए वीरप्पा मोइली पूर्व केंद्रीय मंत्री पूर्व मुख्यमंत्री गुलजारी लाल नंदा जैसे कार्यवाहक प्रधानमंत्री एम करुणानिधि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री केके करुणाकरम पूर्व मुख्यमंत्री महर्षि सविता अर्हत उपाली जिवाजी महाले सैन भगत महाराज सुश्रुत चरक धनवंतरी भोजपुरी भाषा शेक्सपियर कहे जाने भिखारी ठाकुर जैसे गौरवशाली लोग पैदा हुए इसी समाज में वात्सल्य ग्राम के अंतर्गत तमाम अनाथ बच्चों को पालने वाली मां साध्वी ऋतंभरा जी जैसे लोग जन्मे हैं
* उपेंद्र की कलम से*
==सन्दर्भ==
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