"बरगद": अवतरणों में अंतर

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एक बार राजा शान्तनु
राजा शांतनु पत्नी रानी गंगा और पुत्र देवब्रत के वियोगनवियोग मै
अपनी अपने सारथी साथ जंगल घूमने निकले
जंगल में अचानक दो बच्चों के रोने की आवाज़ जाती है
रा राजा शान्तनु शक होने लगता है और अपने हाथ धनुष बाण उठाते ही बोहोत तेज गर्जना हुई
जब राजस्थान शान्तनु जब राजा शान्तनु जब अपना धनुष उठाते थे तो तो चारों तरफ़ तेज गर्जना होती थी तो
सामने ही बरगद के पेड के नीचे दो बच्चे रोने की आवाज़ आती है
तभी सारथी एक बच्चे को उठाकर शांतनु की गोदी में दे देता है राजा
शां शान्तनु ख़ुश होकर उसे ही छाती से लगा लेते है और सार्थी से पूछते है ये क्या है
तब सारथी बोलते है ईश्वर ने पर कृपा की है आपके सूनेपन को देखकर शांतनु पूछते हैं इनका नाम क्या रखे
सा सारथी जवाब देता है जब ईश्वर आप पर कृपा की है तो इनका नाम कृपा ही रखते हैं
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और लड़की का और लड़की का नाम कृपी होगा
लड़का बड़े होने के बाद कृपाचार्य की उपाधि मिली हस्तिनापुर में
लडकी बडीबही होने पर शांतनु उनका विवाहबेवा है द्रोणाचार्य से कर देतेदेती है
इस प्रकार इस प्रकार से द्रोणाचार्य शान्तनु के दामाद होते हैं और
दौणाचार्य भीष्म पितामह केरे बहनोई होते है
राजा शांतनु के आशीर्वाद से कृपाचार्य की मृत्यु नही होती शायद मेरी जानकारी मै
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बरगद" से प्राप्त