"कोपेन जलवायु वर्गीकरण": अवतरणों में अंतर

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छो ब्लादिमीर कोपेन ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध जलवायुविद् एवं वनस्पती शास्त्री थे. ब्लादिमीर कोपेन सर्वप्रथम 1018 ई. में विश्व की जलवायु का वर्गीकरण प्रस्तुत किया
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'''[https://vikramblog.in/%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%aa%e0%a5%87%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%9c%e0%a4%b2%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a5%81-%e0%a4%b5%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%97%e0%a5%80%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a4%a3/ कोपेन जलवायु वर्गीकरण]''' [[जलवायु]] आकलन के लिए प्रयोग किया जाने वाला सबसे अधिक प्रयोगनीय मौसम वर्गीकरण है। इसका विकास जर्मन मौसमवेत्ता [[व्लादिमिर कोपेन]] ने [[१९००]] में किया था। इसके बाद उन्होंने ही इसमें [[१९१८]] और [[१९३६]] में बहुत से बदलाव किये थे। इस वर्गीकरण का आधार यह तथ्य है, कि स्थानीय वनस्पति ही मौसम की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति है। अतए मौसम के क्षेत्रों की सीमाएं वनस्पति क्षेत्रों को ध्यान में रखकर की गईं हैं।
 
यह औसत वार्षिक एवं मासिक तापमान एवं वर्षा एवं वर्षाकाल को ध्यान में रखकर बनाया गया है।इन्होंने अपने वर्गीकरणवर्गीकरण में तापमान तथा वर्षा को प्रमुख आधार माना