"बालकृष्ण भट्ट": अवतरणों में अंतर
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=== कार्यक्षेत्र ===
भट्ट जी एक अच्छे और सफल पत्रकार भी थे। हिन्दी प्रचार के लिए उन्होंने संवत् 1933 में प्रयाग में '''हिन्दीवर्द्धिनी''' नामक सभा की स्थापना की। उसकी ओर से एक हिन्दी मासिक पत्र का प्रकाशन भी किया, जिसका नाम था "हिन्दी प्रदीप"। वह बत्तीस वर्ष तक इसके संपादक रहे और इसे नियमित रूप से भली-भाँति चलाते रहे। हिन्दी प्रदीप के अतिरिक्त बालकृष्ण भट्ट जी ने दो-तीन अन्य पत्रिकाओं का संपादन भी किया। भट्ट जी भारतेन्दु युग के प्रतिष्ठित निबंधकार थे। डॉक्टर वार्ष्णेय पंडित बालकृष्ण भट्ट को हिंदी का सर्वप्रथम निबंध–लेखक स्वीकार करते हैं।<ref>[डॉ रामचंद्र तिवारी, हिंदी का गद्य साहित्य, विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी, 9वां संस्करण, 2014, पृ.64] </ref> अपने निबंधों द्वारा हिन्दी की सेवा करने के लिए उनका नाम सदैव अग्रगण्य रहेगा। उनके [[निबन्ध]] अधिकतर हिन्दी प्रदीप में प्रकाशित होते थे। उनके निबंध सदा मौलिक और भावना पूर्ण होते थे। वह इतने व्यस्त रहते थे कि उन्हें पुस्तकें लिखने के लिए अवकाश ही नहीं मिलता था। अत्यन्त व्यस्त समय होते हुए भी उन्होंने "सौ अजान एक सुजान", "रेल का विकट खेल", "नूतन ब्रह्मचारी", "बाल विवाह" तथा "भाग्य की परख" आदि छोटी-मोटी दस-बारह पुस्तकें लिखीं। वैसे आपने निबंधों के अतिरिक्त कुछ नाटक, कहानियाँ और उपन्यास भी लिखे हैं।
== प्रमुख कृतियाँ ==
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