"मगही भाषा": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
झारखंड के पलामू तथा चतरा में मगही भाषा बोली जाती है! टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
InternetArchiveBot के अवतरण 5307093पर वापस ले जाया गया (ट्विंकल) टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना |
||
पंक्ति 25:
|glottorefname= maga1260
}}
'''मगही''' या '''मागधी''' भाषा [[भारत]] के मध्य पूर्व में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका निकट का संबंध अवधी [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] और [[मैथिली भाषा|मैथिली]] भाषा से है और अक्सर ये भाषाएँ एक ही साथ [[बिहारी भाषाएँ|बिहारी भाषा]] के रूप में रख दी जाती हैं। इसे [[देवनागरी]] अथवा [[कैथी|कयथी]] [[लिपि]] में लिखा जाता है। [[मगही बोलनेवालों की संख्या]] (2002) लगभग १ करोड़ ३० लाख है। मुख्य रूप से यह बिहार के [[गया]], [[पटना]], [[राजगीर]] ,[[नालन्दा महाविहार|नालंदा]] ,[[जहानाबाद]],[[अरवल]],[[नवादा]],[[शेखपुरा]],[[लखीसराय]],[[जमुई]] ,मुंगेर, [[औरंगाबाद]]
मगही का धार्मिक भाषा के रूप में भी पहचान है। कई [[जैन धर्म|जैन]] धर्मग्रंथ मगही भाषा में लिखे गए हैं। मुख्य रूप से वाचिक परंपरा के रूप में यह आज भी जीवित है। मगही का पहला महाकाव्य गौतम महाकवि योगेश द्वारा 1960-62 के बीच लिखा गया। दर्जनो पुरस्कारो से सम्मानित योगेश्वर प्रसाद सिन्ह योगेश आधुनिक मगही के सबसे लोकप्रिय कवि माने जाते है। 23 अक्तुबर को उनकी जयन्ति मगही दिवस के रूप मे मनाई जा रही है।
|