"गायत्री मन्त्र": अवतरणों में अंतर
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==गायत्री महामन्त्र==
[[चित्र:Gayatri1.jpg|right|200px|thumb|गायत्री मन्त्र का [[देवी]] के रूप में चित्रण]]
: ''ॐ भूर् भुवः स्वः।
: ''तत् सवितुर्वरेण्यं।
: ''भर्गो देवस्य धीमहि।
: ''धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
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'''बहाई''' - हे मेरे ईश्वर, मैं साक्षी देता हूँ कि तुझे पहचानने तथा तेरी ही पूजा करने के लिए तूने मुझे उत्पन्न किया है। तेरे अतिरिक्त अन्य कोई परमात्मा नहीं है। तू ही है भयानक संकटों से तारनहार तथा स्व निर्भर।
== गायत्री उपासना का विधि-विधान ==
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