"निर्मल महतो": अवतरणों में अंतर
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==अहम भूमिका==
8 सितम्बर 1980 में [[पश्चिमी सिंहभूम]] जिला के बड गांव में आदिम जनजाति आंदोलन के अग्रणी आंदोलनकारी नेता थे इस आन्दोलन में गोली कांड हुई जिसमे हजार से अधिक लोगों ने अपनी बलिदान दे दी!
झारखंड के शहीद [[तेलंगा खड़िया]] के गांव को लिया गोद, ▼
'''1984''' ई को [[राँची]] सिंदरी से [[लोक सभा ]] चुनाव [[झारखंड मुक्ति मोर्चा]] से लडा जिनमें सफलता नहीं मिली!
निर्मल महतो ने शोषण के विरुद्ध एवं गरीबों ,मजदूरों, किसानों के हक के लिए आवाज उठायी और जमीनी स्तर पर युवाओं को जोड़ने का काम किया उन्होंने आजसू के नेताओं को आंदोलन की बारीकियों से अवगत कराने के लिए [[दार्जिलिंग]] में सुभाष घीसिंग और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के नेता प्रफुल्ल कुमार महंत व भृगु कुमार फूकन से मिलने [[असम]] भी भेजा.▼
'''1985''' ई को [[बिहार]] विधानसभा ईचागढ़ से एम एल ए के पद से चुनाव लडा जिनमें सफलता नहीं मिल!
झारखंड में इंटर फेल विद्यार्थियों पर लाठीचार्ज के खिलाफ धनबाद बंद का मिला-जुला असर,जगह-जगह प्रदर्शन किया!▼
अप्रैल 1986 ई से [[झारखंड मुक्ति मोर्चा]] का '''अध्यक्ष''' बनाया गया!
▲[[झारखंड]] के शहीद [[तेलंगा खड़िया]] के गांव को लिया गोद,
▲'''निर्मल महतो''' ने शोषण के विरुद्ध एवं गरीबों ,मजदूरों, किसानों के हक के लिए आवाज उठायी और जमीनी स्तर पर युवाओं को जोड़ने का काम किया उन्होंने आजसू के नेताओं को आंदोलन की बारीकियों से अवगत कराने के लिए [[दार्जिलिंग]] में सुभाष घीसिंग और '''ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन'''
▲[[झारखंड]] में इंटर फेल विद्यार्थियों पर लाठीचार्ज के खिलाफ [[धनबाद]] बंद का मिला-जुला असर,जगह-जगह प्रदर्शन किया!
[[झारखंड]] अलग [[राज्य]] के लिए आंदोलन ने इस कदर रफ्तार पकड़ ली कि तत्कालीन प्रधानमंत्री [[राजीव गांधी]] व तत्कालीन [[ भारत के गृह मंत्री]] बूटा सिंह को [[दिल्ली]] में कई बार आजसू से वार्ता करनी पड़ी. आखिरकार झारखंड स्वायत्तशाषी परिषद, फिर झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ, लेकिन यह देखने के लिए [[निर्मल महतो]] जीवित नहीं रहे. 8 अगस्त 1987 को निर्मल महतो ( निर्मल दा) की हत्या कर दी गई थी!
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