निर्मल महतो
निर्मल महतो, एक भारतीय राजनेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख नेता थे। वह ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के संस्थापक भी थे। वह झारखण्ड अलग राज्य के आंदोलन में प्रमुख नेताओं में से थे।[1][2][3]
निर्मल महतो | |
---|---|
जन्म | 25 दिसम्बर 1950 जमशेदपुर, झारखंड, भारत |
मृत्यु | 8 अगस्त 1987 जमशेदपुर, | (उम्र 36 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनीतिक दल | झारखंड मुक्ति मोर्चा ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन |
आरंभिक जीवन
संपादित करेंनिर्मल महतो का जन्म 25 दिसंबर 1950 ई को झारखंड राज्य के सिंहभूम जिले के गॉंव उलिआन, जमशेदपुर में हुआ था। वह जगबंधु महतो और पिरिआ बाला महतो के चौथे पुत्र थे।
शिक्षा
संपादित करेंनिर्मल महतो ने जमशेदपुर वकर्स यूनियन हाई स्कूल से मेट्रिक की परीक्षा पूरी की और कॉपरेटिव कॉलेज जमशेदपुर से बी.ए. की शिक्षा ली। पढ़ाई के साथ-साथ उनकी राजनीतिक में अधिक रूचि थी।
राजनीतिक कैरियर
संपादित करेंसूदखोरों के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले निर्मल महतो ने झारखंड अलग राज्य के लिए चलाये गये आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। झारखण्ड के दिशोम गुरु शिबू सोरेन इनके आक्रामक छवि से काफी प्रभावित थे। निर्मल महतो ने झारखंड के लिए आंदोलन चलाया था और सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन किया था। उन्होंने झारखंड के सबसे बड़े छात्र संगठन ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) का गठन किया। झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने इनकी आंदोलनकारी छवि को देखते हुए, उनको 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में शामिल किया। निर्मल महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो बार अध्यक्ष भी चुने गए. पहली बार 6 अप्रैल 1984 को बोकारो में झामुमो केंद्रीय समिति की बैठक में अध्यक्ष बने. उसके बाद 28 अप्रैल 1986 के दूसरे केंद्रीय महाधिवेशन में दूसरी बार निर्मल महतो को झारखंड मुक्ति मोर्चा का अध्यक्ष चुना गया. वे जीवन के अंत तक झामुमो के अध्यक्ष बने रहे.[1]
अहम भूमिका
संपादित करेंनिर्मल महतो 8 सितम्बर 1980 में पश्चिमी सिंहभूम जिला के बड गांव में आदिम जनजाति आंदोलन के अग्रणी आंदोलनकारी नेता थे। इस आन्दोलन में गोली कांड हुई जिसमे हजार से अधिक लोगों ने अपनी बलिदान दे दी। 1984 ई को राँची सिंदरी से लोक सभा चुनाव झारखंड मुक्ति मोर्चा से लड़ जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। 1985 ई को बिहार विधानसभा ईचागढ़ से विधायक के पद से चुनाव लड़ा जिसमें भी उन्हें सफलता नहीं मिली। अप्रैल 1986 ई से उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया। झारखंड के शहीद तेलंगा खड़िया के गांव को उन्होंने गोद लिया था, निर्मल महतो ने शोषण के विरुद्ध एवं गरीबों, मजदूरों, किसानों के हक के लिए आवाज उठायी और जमीनी स्तर पर युवाओं को जोड़ने का काम किया। उन्होंने आजसू के नेताओं को आंदोलन की बारीकियों से अवगत कराने के लिए दार्जिलिंग में सुभाष घीसिंग और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के नेता प्रफुल्ल कुमार महंत व भृगु कुमार फूकन से मिलने असम भी भेजा झारखंड में इंटर फेल विद्यार्थियों पर लाठीचार्ज के खिलाफ धनबाद बंद का मिला-जुला असर,जगह-जगह प्रदर्शन किया। झारखंड अलग राज्य के लिए आंदोलन ने इस कदर रफ्तार पकड़ ली कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी व तत्कालीन भारत के गृह मंत्री बूटा सिंह को दिल्ली में कई बार आजसू से वार्ता करनी पड़ी आखिरकार झारखंड स्वायत्तशासी परिषद, फिर झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ, लेकिन यह देखने के लिए निर्मल महतो जीवित नहीं रहे और 8 अगस्त 1987 को निर्मल महतो की हत्या कर दी गई थी।
हत्या
संपादित करेंझारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष रहे जमशेदपुर के सोनारी के उलियान निवासी निर्मल महतो की हत्या के बाद झारखंड आंदोलन आक्रामक हो गया था। इसके बाद अलग राज्य का मार्ग प्रशस्त होता चला गया। आंदोलन की बदौलत झारखंड अलग राज्य का गठन 15 नवंबर 2000 को हुआ। निर्मल महतो की हत्या 8 अगस्त 1987 को जमशेदपुर के बिष्टुपुर में नार्दर्न टाउन स्थित चमरिया गेस्ट हाउस के सामने गोली मारकर उस समय कर दी गई थी, जब वे अपने सहयोगियों के साथ खड़े होकर बातचीत कर रहे थे। लोग निर्मल महतो को प्यार से निर्मल दा पुकारते थे। संयुक्त बिहार के दौरान उस हत्या के विरोध में जमशेदपुर समेत पूरे प्रदेश में बवाल हुआ था। हत्या की जांच सरकार ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को 18 नवंबर 1987 को सौंप दी थी। हत्या मामले में धीरेंद्र सिंह वीरेंद्र सिंह और नरेंद्र सिंह की गिरफ्तारी हुई थी। धीरेंद्र सिंह की गिरफ्तारी हत्या मामले में 11 साल बाद 2001 में और नरेंद्र सिंह की 2003 में हुई थी। जेल में ही गोलमुरी के गाढ़ाबासा निवासी वीरेंद्र सिंह की मौत हो गई थी। हत्या की प्राथमिकी झारखंड मुक्ति मोर्चा के तत्कालीन दिग्गज नेता सूरज मंडल की शिकायत पर बिष्टुपुर थाना में दर्ज की गई थी।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ "जाने निर्मल महतो का राजनीतिक सफर के बारे में बिस्तार से". प्रभात खबर.
- ↑ "Jharkhand Mukti Morcha founder remembered". m.timesofindia.com.
- ↑ "JMM pays tributes to martyr leader Nirmal Mahato". www.avenuemail.in.[मृत कड़ियाँ]