"निर्मल महतो": अवतरणों में अंतर

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==हत्या==
[[झारखंड मुक्ति मोर्चा]] के '''अध्यक्ष''' रहे [[जमशेदपुर]] के सोनारी के '''उलियान''' निवासी [[निर्मल महतो]] की [[हत्या]] के बाद झारखंड [[आंदोलन]] आक्रामक हो गया था। इसके बाद अलग राज्य का मार्ग प्रशस्त होता चला गया। आंदोलन की बदौलत झारखंड अलग राज्य का गठन 15 नवंबर 2000 को हुआ। निर्मल महतो की हत्या आठ8 अगस्त 1987 को [[जमशेदपुर]] के बिष्टुपुर में '''नार्दर्न टाउन''' स्थित '''चमरिया गेस्ट हाउस''' के सामने '''गोली मारकर''' उस समय कर दी गई थी, जब वे अपने सहयोगियों के साथ खड़े होकर बातचीत कर रहे थे।
लोग '''निर्मल महतो''' को प्यार से '''निर्मल दा''' पुकारते थे। संयुक्त [[बिहार]] के दौरान उस हत्या के विरोध में [[जमशेदपुर]] समेत पूरे प्रदेश में बवाल हुआ था। हत्या की जांच सरकार ने सीबीआइ[[CBI]] को 18 नवंबर 1987 को सौंप दी थी। हत्या मामले में '''धीरेंद्र सिंह,''' '''वीरेंद्र सिंह''' और '''नरेंद्र सिंह''' की गिरफ्तारी हुई थी। धीरेंद्र सिंह की गिरफ्तारी हत्या मामले में 11 साल बाद 2001 में और नरेंद्र सिंह की 2003 में हुई थी। जेल में ही गोलमुरी के गाढ़ाबासा निवासी वीरेंद्र सिंह की मौत हो गई थी। हत्या की प्राथमिकी झामुमो[[झारखंड मुक्ति मोर्चा]] के तत्कालीन दिग्गज नेता '''सूरज मंडल''' की शिकायत पर '''बिष्टुपुर''' थाना में दर्ज की गई थी।
 
लोग निर्मल महतो को प्यार से निर्मल दा पुकारते थे। संयुक्त बिहार के दौरान उस हत्या के विरोध में जमशेदपुर समेत पूरे प्रदेश में बवाल हुआ था। हत्या की जांच सरकार ने सीबीआइ को 18 नवंबर 1987 को सौंप दी थी। हत्या मामले में धीरेंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह और नरेंद्र सिंह की गिरफ्तारी हुई थी। धीरेंद्र सिंह की गिरफ्तारी हत्या मामले में 11 साल बाद 2001 में और नरेंद्र सिंह की 2003 में हुई थी। जेल में ही गोलमुरी के गाढ़ाबासा निवासी वीरेंद्र सिंह की मौत हो गई थी। हत्या की प्राथमिकी झामुमो के तत्कालीन दिग्गज नेता सूरज मंडल की शिकायत पर बिष्टुपुर थाना में दर्ज की गई थी।
 
== सन्दर्भ ==