"वाल्मीकि": अवतरणों में अंतर
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: (अर्थ : ''हे दुष्ट, तुमने प्रेम मे मग्न क्रौंच पक्षी को मारा है। जा तुझे कभी भी प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं हो पायेगी और तुझे भी वियोग झेलना पड़ेगा।)
उसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध महाकाव्य "रामायण"
महाभारत काल में भी वाल्मीकि का वर्णन मिलता है।<ref>{{Cite web|url=https://hindi.webdunia.com/mahabharat/ram-katha-in-mahabharata-121041300061_1.html|title=Ramayan in Mahabharata {{!}} महाभारत में रामायण की रामकथा|last=जोशी|first=अनिरुद्ध|website=hindi.webdunia.com|language=hi|access-date=2021-10-18}}</ref> जब पांडव कौरवों से युद्ध जीत जाते हैं तो [[द्रौपदी]] यज्ञ रखती है, जिसके सफल होने के लिये शंख का बजना जरूरी था परन्तु कृष्ण सहित सभी द्वारा प्रयास करने पर भी पर यज्ञ सफल नहीं होता तो [[कृष्ण]] के कहने पर सभी वाल्मीकि से प्रार्थना करते हैं। जब वाल्मीकि वहां प्रकट होते हैं तो शंख खुद बज उठता है और द्रौपदी का यज्ञ सम्पूर्ण हो जाता है। इस घटना को [[कबीर]] ने भी स्पष्ट किया है "सुपच रूप धार सतगुरु आए। पांडवो के यज्ञ में शंख बजाए।"{{cn}}
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