"गायत्री मन्त्र": अवतरणों में अंतर

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[[File:Gayatri Mantra as it is.ogg|thumb|ॐ जिनेन्द्र देव की समावशरण की ध्वनि है जिसमे भव्य जनो के हितार्थ उपदेश होता है जिसे गणधर समझ कर भव्यों को समझाते हैं]]
[[File:Gayatri Mantra as it is.ogg|thumb|गायत्री मन्त्र]]
'''गायत्री महामंत्र''' ([[चित्र:Speaker_Icon.svg|13px]]{{plainlink|http://www.awgp.org/audio/mantra/ सुनें}}) [[वेद|वेदों]] का एक महत्त्वपूर्ण [[मन्त्र|मंत्र]] है जिसकी महत्ता [[ॐ]] के लगभग बराबर मानी जाती है। यह [[यजुर्वेद]] के [[मन्त्र]] '[[गायत्री मन्त्र|ॐ भूर्भुवः स्वः]]' और [[ऋग्वेद]] के छन्द 3.62.10 के मेल से बना है। इस मंत्र में [[सवितृ]] देव की उपासना है इसलिए इसे '''सावित्री''' भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। इसे [[श्री गायत्री देवी]] के स्त्री रूप में भी पूजा जाता है।