"अनसूया": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Anasuya feeding the Hindu Trinity, The Krishna-Sudama Temple of Porbandar, India.JPG|right|thumb|300px|पोरबन्दर के मन्दिर में त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, शंकर) को भोजन कराती सती अनसूया की मूर्ति]]
'''अनसूया''' प्रजापति कर्दम और देवहूति की 9 कन्याओं में से एक तथा अत्रि मुनि की पत्नी तथाथीं। महर्षिउनकी [[महर्षिपति-भक्ति दुर्वासा|दुर्वासा]]अर्थात ,सतीत्व [[चंद्रदेव]]का औरतेज महर्षिइतना [[दत्तात्रेय]]अधिक कीथा माताके थीं।उसके कारण आकाशमार्ग से जाते देवों को उसके प्रताप का अनुभव होता था। इसी कारण उन्हें 'सती अनसूया' भी कहा जाता है।
 
अनसूया ने [[राम]], [[सीता]] और [[लक्ष्मण]] का अपने आश्रम में स्वागत किया था। उन्होंने सीता को [[उपदेश]] दिया था और उन्हें अखंड [[सुन्दरता|सौंदर्य]] की एक ओषधि भी दी थी। सतियों में उनकी गणना सबसे पहले होती है। [[कालिदास]] के 'शाकुंतलम्' में अनसूया नाम की शकुंतला की एक सखी भी कही गई है।
नकी पति-भक्ति अर्थात सतीत्व का तेज इतना अधिक था के उसके कारण आकाशमार्ग से जाते देवों को उसके प्रताप का अनुभव होता था। इसी कारण उन्हें 'सती अनसूया' भी कहा जाता है।
 
अनसूया ने [[राम]], [[सीता]] और [[लक्ष्मण]] का अपने आश्रम में स्वागत किया था। उन्होंने सीता को [[उपदेश]] दिया था और उन्हें अखंड [[सुन्दरता|सौंदर्य]] की एक ओषधि भी दी थी। सतियों में उनकी गणना सबसे पहले होती है। [[कालिदास]] के 'शाकुंतलम्' में अनसूया नाम की शकुंतला की एक सखी भी कही गई है।
 
== कथा ==