"ॐ": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
ओंकार ओंकार समोसारण में जिनेंद्र भगवान के द्वारा निकली हुई सांकेतिक ध्वनि है जो बहुत बिजी वो के हितार्थ निकलती है जिसे गणधर देव समझकर भव्य जीवो को समझाते हैं टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
संजीव कुमार (वार्ता | योगदान) छो 2409:4043:2D0C:D308:0:0:3188:EB09 (Talk) के संपादनों को हटाकर PQR01 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
||
पंक्ति 1:
उसमें तृतीय परमेष्ठी ‘आचार्य’ का प्रथम अक्षर ‘आ’ मिलाने पर आ+आ मिलकर ‘आ’ ही शेष रहता है। उसमें चतुर्थ परमेष्ठी ‘उपाध्याय’ का पहला अक्षर ‘उ’ को मिलाने पर आ+उ मिलकर ‘ओ’ हो जाता है। अंतिम पाँचवें परमेष्ठी ‘साधु’ को जैनागम में मुनि भी कहा जाता है। अत: मुनि के प्रारंभिक अक्षर ‘म्’ को ‘ओ’ से मिलाने पर ओ+म् = ‘ओम्’ या ‘ओं’ बन जाता है।
|