"गोवर्धन पूजा": अवतरणों में अंतर

वz वाईसी
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो 2409:4043:4E9B:C619:0:0:188B:CB10 (Talk) के संपादनों को हटाकर भरत अग्रवाल के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 4:
 
 
दीपावली के अगले दिन यूव्वेगोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। इस तरह गौ सम्पूर्ण मानव जाती के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की।
 
जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।<ref>{{Cite web|url=https://www.livehindustan.com/astrology/story-govardhan-puja-katha-2019-know-gowardhan-pooja-2019-date-time-shubh-muhurat-puja-vidhi-2820104.html|title=Govardhan Puja Katha 2019: पढें गोवर्धन पूजा कथा, श्रीकृष्ण ने रची थी लीला|website=Hindustan|language=hindi|access-date=2020-11-14}}</ref>