"जैन मुनि": अवतरणों में अंतर

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== चातुर्मास ==
बारिश (मानसून) के ४ महीनों में (आषाढ़ शुक्ल चतुर्दशी से कार्तिक कृष्ण अमावस्या अर्थात दीपावली के दिन तक) धर्म की रक्षा के लिए जैन साधु विहार आदि  नहीं करते। क्योंकि बरसात के समय ब्राम्हण मेंब्रह्मांड जीवो की उत्पत्ति बढ़ जाती है प्रत्यक्ष में हमे बिजली के कीड़े ,झिंगर🐜, पंखी🐝 आदि रात के अंधेरे में तथा बरसात होते ही केंचुए🐛, मेंढक🐸, टिड्डे,बिच्छू🦂, चींटे🐜 अनेक प्रकार की वनस्पतियां🌱 जमीन पर प्रत्यक्ष में दिखाई पड़ती और इनमें भी जान पाई जाती है इसलिए उनके निमित्त से चींटी से लेकर बड़े से बड़े प्राणी के हिंसा के पात्र न बने क्योंकि अहिंसा जैनधर्म का और विश्व के लिए सर्वोत्कृष्ट गहना है।<ref>{{Cite book|last = Mehta|first = Makrand|title = Indian merchants and entrepreneurs in historical perspective: with special reference to shroffs of Gujarat, 17th to 19th centuries|url = http://books.google.co.in/books?id=9lz3gNDMbWEC|year = 1991|publisher = Academic Foundation|isbn = 81-7188-017-7|page = 98}}</ref>
 
== जैन आचार्य परम्परा ==