"नैमिषारण्य": अवतरणों में अंतर
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[[वाराह पुराण]] के अनुसार<ref>[[वाराह पुराण]] अध्याय:११। श्लोक:१०८</ref> यहां भगवान द्वारा निमिष मात्र में [[दानव|दानवों]] का संहार होने से यह 'नैमिषारण्य' कहलाया। [[वायु पुराण|वायु]], [[कूर्म पुराण|कूर्म]] आदि [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार भगवान के मनोमय चक्र की नेमि (हाल) यहीं विशीर्ण हुई (गिरी) थी, अतएव यह नैमिषारण्य कहलाया।
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:'''प्रययुस्तस्य चक्रस्य यत्र नेमिर्व्यशीर्यत।'''
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