"राजा बुन्देला": अवतरणों में अंतर
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| [[१९८२|1982]] || [[ब्रज भूमि (फिल्म)|ब्रज भूमि]] || गोपाल||
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== बुन्देलखंड राज्य की माँग ==
[[बुन्देलखण्ड|बुंदेलखंड]] के [[भारतीय जनता पार्टी|भाजपा]] नेता राजा बुंदेला ने कहा कि उनके गृह क्षेत्र की प्यास तब तक नहीं बुझ सकती जब तक कि बुंदेलखंड को अलग राज्य नहीं बनाया जाता। उन्होंने प्रदेश सरकार पर इस क्षेत्र से सौतेला व्यवहार करने का आरोप भी लगाया। बॉलीवुड कलाकार और निर्माता-निर्देशक की भूमिका निभा चुके राजा बुंदेला ने कहा कि बुंदेलखण्ड की समस्या पूरे देश की समस्या से बिलकुल अलग है और इसका समाधान वही कर सकता है जो इस क्षेत्र का हो, जो इस क्षेत्र की समस्याओं को अपना समझता हो और जो इस समस्याओं का हल निकालने की समझ रखता हो। राजा बुंदेला ने कहा कि लखनऊ से सत्ता चलाने वाले इस मिट्टी की परेशानियों को नहीं जानते और वे इन्हे दूर भी नहीं करना चाहते। उन्होंने यूपी सरकार पर राजनीतिक कारणों से इस क्षेत्र की उपेक्षा करने का आरोप भी लगाया। बुंदेलखंड क्षेत्र के राजसी परिवार से संबंध रखने वाले राजा बुंदेला ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार को झांसी-बुंदेलखंड के लोगों की बुरी स्थिति को समझने की कोई जरूरत महसूस ही नहीं होती। बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा बैनर के तले अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग (यूपी, एमपी के चौदह जिलों को मिलाकर) करते आ रहे राजा बुंदेला ने कहा कि बुंदेलखंड के लोग स्वाभिमानी हैं और उन्हें किसी के रहमोकरम की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि [[समाजवादी पार्टी]] राजनीतिक कारणों से अलग राज्य की मांग का समर्थन नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा कि 22 करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश का शासन एक जगह से नहीं चलाया जा सकता। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि बुंदेलखंड का प्रशासन बुंदेलखंड के लोगों के हाथ में सौंप दिया जाए। जिससे वे लोग अपनी समस्याओं का अपने स्तर से समाधान कर सकें। 2004 में कांग्रेस के टिकट पर झांसी से लोकसभा चुनाव लड़ चुके राजा बुंदेला ने कहा कि केंद्र सरकार बुंदेलखंड के लोगों की प्यास बुझाने के लिए प्रयास कर रही है लेकिन प्रदेश सरकार इसमें अपनी तौहीनी समझती है और वह केंद्र के प्रयासों में सहयोग करने की बजाय बाधा पैदा कर रही है। राजा बुंदेला (मूल नाम राजा राजेश्वर प्रताप सिंह जूदेव) अप्रैल 2013 में नरेंद्र मोदी की एक रैली के दौरान भाजपा में शामिल हो गए थे। बुंदेलखंड के लोगों के अनुसार बुंदेलखंड सूखे की कड़ी मार झेल रहा है। सिंचाई के लिए पानी के अभाव में खेत पथरीले रेगिस्तान में तब्दील होते जा रहे हैं। लोग पानी की एक बूंद के लिए मर रहे हैं।क्षेत्र के 13 हजार से अधिक तालाबों में से आज सिर्फ तरह सौ के लगभग ही बचे हैं। अनधिकृत निर्माण के कारण अधिकतर तालाबों पर कब्जा कर कॉलोनी बना दी गई है। बिल्डरों और भूमाफियाओं ने अवैध तरीके से जल क्षेत्र हथिया लिए हैं जिसके कारण पीने का पानी एकत्र नहीं हो पा रहा है।इसका परिणाम हुआ है कि क्षेत्र में 2002 से लेकर आज तक आठ बार से अधिक सूख पड़ चूका है। लोग किसानी छोड़ मजदूरों करने लगे हैं। ऐसे में वहां के लोग अलग बुन्देलखंड राज्य की माँग कर रहे हैं।<ref>https://www.google.co.in/url=https%3A%2F%2Fm.patrika.com%2Ftags%2Fraja-bundela%2F&usg=AFQjCNGKo8b_uSW1pxR2b1MFB1SSuCwfLQ{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref><ref>https://www.patrika.com%2Ftags%2Fraja-bundela%2F&usg=AFQjCNGKo8b_uSW1pxR2b1MFB1SSuCwfLQ</ref>
== सन्दर्भ ==
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