"विश्वकर्मा": अवतरणों में अंतर
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{{infobox deity |name = विश्वकर्मा|image=Vishwakarmaji.png|caption=भगवान विश्वकर्मा अपने सिंहासन पर विराजमान और अपने भक्तों से घिरे हुए|other_names=विश्वकर्मा, देव शिल्पी, जगतकर्ता और शिल्पेश्वर|abode=विश्वकर्मा लोक|weapons=कमंडल, पाश,|symbol=औजार|festivals=विश्वकर्मा पूजा (17 सितंबर हर साल)|children=बृहस्मति, [[नल-निल]],[[ संध्या]], [[रिद्धि]], [[सिद्धि]] और [[चित्रांगदा]]|parents=[[वास्तुदेव ]] (पिता), [[अंगिरसी]] (मां)|deity_of=सृजन, निर्माण, वास्तुकला, औजार, शिल्पकला, मूर्तिकला एवं वाहनों समेत समस्त संसारिक वस्तुओं के अधिष्ठात्र देवता|image size=1240 p}}[[चित्र:Cambodian Hindu panel 01.jpg|300px|thumb|300px|[[बलुआ पत्थर]] से निर्मित एक आर्किटेक्चरल पैनेल में भगवान विश्वकर्मा (१०वीं शताब्दी) ; बीच में [[गरुड़]] पर विराजमान [[विष्णु]] हैं, बाएँ [[ब्रह्मा]] हैं, तथा दायें तरफ भगवान विश्वकर्मा हैं। इस संग्रहालय में उनका नाम 'विश्नकुम' लिखा है।]]
[[हिन्दू धर्म]] में '''विश्वकर्मा''' को निर्माण एवं सृजन का [[देवता]] माना जाता है। मान्यता है कि सोने की [[श्रीलंका|लंका]] का निर्माण उन्होंने ही किया था। इनकी ऋद्धि
== वेदों में उल्लेख==
[[ऋग्वेद]] मे विश्वकर्मा सुक्त के नाम से 11 ऋचाऐ लिखी हुई है। जिनके प्रत्येक मन्त्र पर लिखा है ऋषि विश्वकर्मा भौवन देवता आदि। यही सुक्त यजुर्वेद अध्याय 17, सुक्त मन्त्र 16 से 31 तक 16 मन्त्रो मे आया है ऋग्वेद मे विश्वकर्मा शब्द का एक बार इन्द्र व सुर्य का विशेषण बनकर भी प्रयुक्त हुआ है। परवर्ती वेदों मे भी विशेषण रूप मे इसके प्रयोग अज्ञत नही है यह प्रजापति का भी विशेषण बन कर आया है। पूर्ण परमात्मा ने इस संसार को बनाया है उन्होंने माँ के गर्भ में भी हमारा पालन-पोषण
: '''प्रजापति विश्वकर्मा विसुचित।'''
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: '''विश्वकर्मा सुतस्तस्यशिल्पकर्ता प्रजापतिः॥16॥'''
महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या जानने वाली थी वह अष्टम् वसु महर्षि प्रभास की पत्नी बनी और उससे सम्पुर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ। पुराणों में कहीं योगसिद्धा, वरस्त्री नाम भी बृहस्पति की बहन का लिखा है। शिल्प शास्त्र का कर्ता वह ईश विश्वकर्मा देवताओं का आचार्य है, सम्पूर्ण सिद्धियों का जनक है, वह प्रभास ऋषि का पुत्र है और महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र का भानजा है। अर्थात अंगिरा का दौहितृ (दोहिता) है। अंगिरा कुल से विश्वकर्मा का सम्बन्ध तो सभी विद्वान स्वीकार करते हैं। जिस तरह भारत मे विश्वकर्मा को
:"विशवं कृत्स्नं कर्म व्यापारो वा यस्य सः'''
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