"दारुल उलूम देवबन्द": अवतरणों में अंतर
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==इतिहास==
स्वर्ग समान भारत वर्ष में मुसलमान बादशाहों के शासन काल के इतिहास का समय बड़ा प्रकाशमान और उज्जवल रहा है। मुस्लिम शासकांे ने भारत वर्ष की उन्नति और विदेशों में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इस की साख को मज़बूत करके ऐसे कार्य किये जो भारत वर्ष के इतिहास� में सुनहरे शब्दों में लिखे जाने के योग्य हैं। इस्लामी हुकूमत का आरम्भ पहली शताब्दी हिजरी (सातवीं ईसवी शताब्दी) से होजाता है। और गंगा जमुना की लहरों की भांति यह सल्तनत अपने स्थान से चलकर देश के हर भाग पर लहराती,� बलखाती फैलती चली जाती है। बारहवीं हिजरी� � शताब्दी (18वीं ईसवी शताब्दी) तक पूरी शान के साथ मुस्लिम शासक हिन्दुस्तानियांे के दिलों पर शासन करते हैं। यह कहना अनुचित न होगा कि औरंगज़ेब
औरंगज़ेब आलमगाीर के बाद डेढ़ सौ साल के उत्थान पतन और विद्रोह का अन्दाज़ा इस बात से भली भांति लगाया जा सकता है कि केवल पचास साल की मुद्दत में 1707� � ई॰ से� � 1757� � ई� ॰ तक दिल्ली के तख्त पर दस बादशाह बिठाये और उतारे गये,� � जिन में केवल चार अपनी प्राकृतिक मौत से मरे। इनके अतिरिक्त कई क़त्ल किये गये किसी की आंखों को लोहे की गर्म सलाखों से फोड़ दिया गया। कुछ ने क़ैदखानों की अंधेरी कोठरी में अपनी जान दी।
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