"कश्यप": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Rishi kashyap.jpg|अंगूठाकार|ऋषि कश्यप तप करते हुए ]]
[[चित्र:033-vamana.jpg|thumb|200px|[[वामनावतार|वामन अवतार]], ऋषि कश्यप एवं [[अदिति]] के पुत्र, महाराज [[बलि]] के दरबार में।]]
'''कश्यप ऋषि''' एक [[वैदिक धर्म|वैदिक]] [[ऋषि]] थे। इनकी गणना [[सप्तर्षि]] गणों में की जाती थी। [[हिन्दू]] मान्यता अनुसार इनके वंशज ही सृष्टि के प्रसार में सहायक हुए।
इनके पिता ब्रह्मा के पुत्र [[मरीचि]] ऋषि थे। इन्हें परमपिता [[ब्रह्मा]] का [[अवतार]] माना गया है।
== परिचय ==
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इन्द्र को बालखिल्य महर्षियों से बहुत ईर्ष्या थी। रूष्ट होकर बालखिल्य ने अपनी तपस्या का भाग कश्यप मुनि को दिया तथा इन्द्र का मद नष्ट करने के लिए कहा। कश्यप ने सुपर्णा तथा कद्रु से विवाह किया। दोनों के गर्भिणी होने पर वे उन्हें सदाचार से घर में ही रहने के लिए कहकर अन्यत्र चले गये। उनके जाने के बाद दोनों पत्नियां ऋषियों के यज्ञों में जाने लगीं। वे दोनों ऋषियों के मना करने पर भी हविष्य को दूषित कर देती थीं। अत: उनके शाप से वे नदियां (अपगा) बन गयीं। लौटने पर कश्यप को ज्ञात हुआ। ऋषियों के कहने से उन्होंने शिवाराधना की। शिव के प्रसन्न होने पर उन्हें आशीर्वाद मिला कि दोनों नदियां गंगा से मिलकर पुन: नारी-रूप धारण करेंगी। ऐसा ही होने पर प्रजापति कश्यप ने दोनों का सीमांतोन्नयन संस्कार किया। यज्ञ के समय कद्रु ने एक आंख से संकेत द्वारा ऋषियों का उपहास किया। अत: उनके शाप से वह कानी हो गयी। कश्यप ने पुन: ऋषियों को किसी प्रकार प्रसन्न किया। उनके कथनानुसार गंगा स्नान से उसने पुन: पुर्वरूप धारण किया।
== सन्दर्भ ==
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