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'''सम्भल''' (Sambhal) [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[सम्भल ज़िले]] में स्थित एक नगर है। यह [[संभल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र]] के अन्तर्गत आता है।<ref>"[https://books.google.com/books?id=qzUqk7TWF4wC Uttar Pradesh in Statistics]," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716</ref><ref>"[https://books.google.com/books?id=S46rbUL6GrMC Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20170423083533/https://books.google.com/books?id=S46rbUL6GrMC |date=23 अप्रैल 2017 }}," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975</ref>
सम्भल उत्तर प्रदेश के नए बनाए गए जिलों में से एक है। जिसके निर्माण की घोषणा 28 सितंबर 2011 को की गई। इस जिले का मुख्यालय [[बहजोई]] है। 23 जुलाई 2012 को जनपद का नाम भीमनगर से बदलकर सम्भल कर दिया गया |सम्भल जनपद में 3 तहसीलें h सम्भल, चन्दौसी और गुन्नौर हैं | जनपद में बहुसंख्यक जाति [[यादव]]/[[अहीर]] है। जनपद में 4 विधान सभा क्षेत्र सम्भल , असमौली ,चन्दौसी और गुन्नौर आते हैं।<ref>"[https://books.google.com/books?id=qzUqk7TWF4wC Uttar Pradesh in Statistics]," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716</ref><ref>"[https://books.google.com/books?id=S46rbUL6GrMC Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20170423083533/https://books.google.com/books?id=S46rbUL6GrMC |date=23 अप्रैल 2017 }}," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975</ref>
 
== धार्मिक मान्यता ==
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== इतिहास ==
सम्भल एक पुराना उपनिवेश है जो मुस्लिम शासन के समय भी महत्वपूर्ण था व सिकंदर लोदी की १५वीं सदी के अंत व १६वीं सदी के शुरू में प्रांतीय राजधानियों में से एक था। यह प्राचीन शहर एक समय महान चौहान सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी भी था व संभवतः यह वहीं है जहाँ वह अफगानियों द्वारा द्वितीय युद्घ में मारे गए। "मकान टूटे लोग झूठे" के लिए भी इसे जाना जाता है लेकिन इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। कुछ निवासियों के द्वारा इसका वर्तमान में सत्य होने का दावा किया जाता है। १९९१ की जनगणना में सम्भल को पूरे देश में न्यूनतम साक्षरता वाला पाया गया था। लेकिन समय के साथ स्थितियों में सुधार आया है।
 
मध्यकाल में सम्भल का सामरिक महत्त्व बढ़ गया, क्योंकि यह आगरा व दिल्ली के निकट है। सम्भल की जागीर बाबर के आक्रमण के समय अफ़गान सरदारों के हाथ में थी। बाबर ने हुमायूँ को संभल की जागीर दी लेकिन वहाँ वह बीमार हो गया, अतः आगरा लाया गया। इस प्रकार बाबर के बाद हुमायूँ ने साम्राज्य को भाइयों में बाँट दिया और सम्भल अस्करी को मिला। शेरशाह सूरी ने हुमायूँ सूरी को खदेड़ दिया और अपने दामाद मुबारिज़ ख़ाँ को सम्भल की जागीर दी। अब्बास ख़ाँ शेरवानी के अनुसार बाबर के सेनापतियों ने यहाँ कई मन्दिरों को तोड़ा था और जैन मूर्तियों का खण्डन किया था।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/सम्भल" से प्राप्त